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जब सुब्रत राय ने जीतन राम मांझी को किया था फोन, सहाराश्री ने बतायी थी दलितों को लेकर ये खास बात

हम पार्टी के प्रमुख जीतनराम मांझी ने अपने संस्मरण के साथ उन्हें याद किया है. जीतन राम मांझी ने एक पुराने प्रसंग को याद करते हुए लिखा है कि मैं उस समय एससी/एसटी कल्याण मंत्री था. एक दिन मुझे मेरे पीए ने बताया कि सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय आपसे बात करना चाहते हैं.

पटना. सहारा इंडिया परिवार के संस्थापक सुब्रत रॉय का मंगलवार की रात 14 नवंबर को निधन हो गया है. उन्होंने 75 वर्ष की आयु में मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में आखिरी सांस ली. सुब्रत रॉय के स्वास्थ्य में गिरावट के बाद 12 नवंबर 2023 को कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (केडीएएच) में भर्ती कराया गया था. अब उनके निधन पर कई बड़े नेता और फिल्मी जगत के लोग शोक व्यक्त कर रहे हैं. उनके निधन को लेकर सहारा समूह ने आधिकारिक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि एक प्रेरणादायक नेता और दूरदर्शी सहाराश्री का 14 नवंबर, 2023 की रात 10.30 बजे कई बीमारियों से लंबी लड़ाई के बाद कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट के कारण निधन हो गया है.

मांझी से सहाराश्री की ऐसे हुई बात

उनके निधन पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है. बिहार के दलित नेता और हम पार्टी के प्रमुख जीतनराम मांझी ने अपने संस्मरण के साथ उन्हें याद किया है. जीतन राम मांझी ने एक पुराने प्रसंग को याद करते हुए लिखा है कि मैं उस समय एससी/एसटी कल्याण मंत्री था. एक दिन मुझे मेरे पीए ने बताया कि सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय आपसे बात करना चाहते हैं. पहले तो मुझे लगा कि उनका कोई काम होगा, पर उन्होंने बात के दौरान सीधे तौर पर कहा कि बिहार के एससी/एससी समाज के बेहतरी के लिए सहारा परिवार आपके साथ है. जीतन राम मांझी ने लिखा है कि बिना भूमिका के सुब्रत रॉय ने उन्हें खुद कहा कि सहारा परिवार बिहार के एसटी और एससी समाज के साथ है. आपको जब भी हमारी मदद की जरुरत हो बताइयेगा. जीतन राम मांझी सहाराश्री सुब्रत रॉय को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है.

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सुब्रत रॉय का बिहार में हुआ था जन्म

बेशक सहारा परिवार को गोरखपुर और यूपी की कंपनी के तौर पर लोग जानते हैं, लेकिन बिहार के अररिया में 1948 में जन्मे सुब्रत रॉय का परिवार बिहार के पूर्णिया में रहा करता था. आज भी उनका पुश्तैनी मकान पूर्णिया में है. बाद में उनका परिवार बिहार से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में शिफ्ट हो गया. इसके बाद सुब्रत रॉय 1990 के दशक में लखनऊ चले गए और वहां उन्होंने समूह का मुख्यालय बनाया. सहारा इंडिया परिवार शुरू करने की सफलता की कहानी 1978 में शुरू हुई थी. सहारा ने अपनी वेबसाइट पर बताया है कि सिर्फ 2,000 रुपये की पूंजी से कंपनी ने शुरुआत की थी और वहां एक लंबा सफर तय किया.

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