ऋषव मिश्रा कृष्णा, नवगछिया. कोरोना की लड़ाई में सबसे सशक्त हथियार वैक्सीन साबित हुआ है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में शत प्रतिशत वैक्सिनेशन करवाना किसी चुनौती से कम नहीं है. विभिन्न प्रखंडों के स्वास्थ्य कर्मी इस तरह की समस्या जूझ रहे हैं. नवगछिया अनुमंडल के विभिन्न पीएचसी स्तर से रवाना टीकाकरण रथ को बुधवार के दिन भी कई जगहों से वापस लौटना पड़ा. स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों और प्रशासनिक पदाधिकारियों को बैरंग ऐसे जगह से लौटना पड़ा.
गोपालपुर पीएचसी से टीका रथ जब अभिया गाछी टोला पहुंचा तो देखते ही देखते स्थानीय लोगों को पता चल गया कि उक्त वाहन के साथ पूरी टीम वैक्सिनेशन करने आयी है. ग्रामीणों ने कई तरह की उट पटांग तथ्यहीन बातों को टीम के सामने रखा. गांव प्रवेश करते ही एक व्यक्ति ने कहा कि सुइया देने आये हैं, क्यों. स्वास्थ्य कर्मी ने कहा कि कोरोना को हराना है. इस पर उस व्यक्ति ने कहा यहां कहां है कोरोना, जो सुइया देने चले आये हैं.
तभी एक महिला ने कहा कि बीडीओ खुद सुइया नय लेलकै, हमारा सनी क सुइया दै ल चली एलौ छै, जा जा चलो जा, झूठ के बेमारी घोर नय बोलना छै. दूसरी महिला ने कहा हम्में सुइया लेलिये, बड़ी कष्ट, नय खैलो जाय छै, नय घूमलो फिरलो जाय छै, एहनो सुइया होय छै. पीएचसी की टीम ने सबों को समझाया बुझाया, लेकिन बात नहीं बनी. आगे जाने पर एक महिला ने कहा 10 दिन पहले एक सुइया लै वाला एक सौ लोगो के लहाश (लाश) उठी गेलौ छै.
स्वास्थ्य विभाग की टीम के सदस्यों ने पूछा एक का भी नाम बता सकते हैं तो महिला ने कहा हमरा गांव में त एक्को गो नय मरलो छै लेकिन बगल वाला गांव में सुइया लेला के बाद 10 लहाश उठी गेलौ छै. फिर स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों ने कहा आपको झूठी सूचना मिली है, किसी भी गांव में सुई लेने के बाद कोई नहीं मरा है. अंततः महिला नहीं मानी. इसी गांव में एक महिला ने कहा कि सुइया लेला के बाद मरी जैबै त बाल बच्चा क बीके देखतै.
इस्माइलपुर में दूसरे दिन भी टीका एक्सप्रेस नहीं कर पायी. इस्माइलपुर प्रखंड में बुधवार को टीका रथ केलाबाड़ी, दलित टोला और भिट्ठा गांव में गया. इस्माइलपुर पीएचसी के चिकित्सा प्रभारी डॉ राकेश रंजन ने कहा कि तीनों मोहल्ले में एक भी पुरूष महिला वैक्सिनेशन के लिए तैयार नहीं हुए.
यहां पर कई ग्रामीणों ने कहा कि जेतना साहेब छै, वें सब बढ़ियां सुइया लेलकै, लेकिन हमरा सनी क बोखार बाल सुइया दै ल एलौ छै. ग्रामीणों को स्वास्थ्य कर्मियों ने समझाया मैंने भी कोविडशील्ड लिया है और आपको भी यही दिया जायेगा. एक व्यक्ति ने मौके पर कहा पैसो देभो न तइयो सुइया नय लेबै.
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सुइया लेला के बाद मरी जैबै त हमारा बाल बच्चा क के देखतै
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10 दिन पहले 100 लाश उठ गया है
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मेरे गांव में नहीं मरा, बगल वाले गांव में मर गया है
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सुइया लेला के बाद खाना नै खैलो जाय छै, बेफालतू के बौखार हो गलै
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बीडीओ खुद नय लेलकै सुइया हमरसनी क दै ल एलौ छै
टीकाकरण रथ से किये जा रहे वैक्सिनेशन के प्रति अफवाह और उदासीनता को देखते हुए नवगछिया अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ बरुण ने गवई भाषा में लोगों से अपील करते हुए कहा है कि सुइया सें कोय खतरा नय छै, कोरोना सें यहीं बचैथों. यै लेली, सब काम छोरी क पहने सुइया (टीका) लाय ल.
डॉ बरुण ने कहा कि वैक्सिनेशन के प्रति तरह तरह के अफवाह फैलाया गया है, जिसका कोई सिर पैर नहीं है. नवगछिया शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में 24 हजार से अधिक लोग वैक्सिनेशन करवा चुके हैं. किसी को कोई दिक्कत नहीं है. इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा. उन्होंने सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों को इस संदर्भ में जगरूकता अभियान चलाने की अपील की है.
Posted by Ashish Jha