पटना. बिहार की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी ने इस बार बड़ा बदलाव किया है. पिछली बार बीजेपी ने पिछड़ी जाति से आने वाले तारकेश्वर प्रसाद और रेणु देवी को डिप्टी सीएम बनाया था, जबकि इस बार भूमिहार समुदाय से आने वाले विजय सिन्हा और पिछड़ी जाति से आने वाले सम्राट चौधरी को डिप्टी सीएम बनाने का फैसला किया है. विजय सिन्हा बिहार की राजनीति के चर्चित चेहरे माने जाते हैं. 2020 चुनाव के बाद बीजेपी का कोई नेता बिहार विधानसभा का स्पीकर बना था. उनके सामने महागठबंधन ने आरजेडी के विधायक बिहारी सिंह को उतारा था, लेकिन 126 वोट के साथ लखीसराय सीट से विधायक विजय सिन्हा बिहार विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी संभालने वाले पहले थे.
तीन बार चुनाव जीत चुके हैं विजय सिन्हा
लखीसराय सीट से लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके विजय सिन्हा पहले भाजपा संगठन के अलग-अलग कामों एक्टिव रहे थे. साल 2000 में विजय सिन्हा को भारतीय जनता युवा मोर्च के प्रदेश संगठन के प्रभारी की जिम्मेदारी मिली थी, 2004 में बीजेपी के प्रदेश कार्य समिति के सदस्य बने, बीजेपी के किसान मोर्चा के प्रदेश महामंत्री बने, फिर बीजेपी ने उन्हें बेगुसराय और खगड़िया जिला का क्षेत्रीय प्रभारी भी बनाया था.
पहली बार लखीसराय से विधायक चुने गए
2005 मार्च में विजय सिन्हा पहली बार लखीसराय से विधायक चुने गए. लेकिन 6 महीने तक राष्ट्रपति शासन लगा रहा. उसी साल नवंबर में दोबारा विधानसभा चुनाव हुए, लेकिन उन्हें हार मिली. साल 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में पांच साल लंबे इंतजार के बाद उन्हें जीत मिली और उसके बाद वे लगातार तीन बार लखीसराय सीट से विधायक रहे. नीतीश सरकार में रह चुके हैं मंत्री बिहार में एनडीए की सरकार बनने के बाद विजय सिन्हा नीतीश सरकार में डिप्टी सीएम की शपथ लेने जा रहे हैं, लेकिन इससे पहले भी वे नीतीश सरकार में मंत्री पद पर रह चुके हैं. साल 2017 में जब नीतीश कुमार ने राजद छोड़कर जेडीयू ने बीजेपी के साथ फिर से सरकार बनाई थी तब विजय सिन्हा को श्रम संसाधन मंत्री बनाया गया था. उन्हें बेगूसराय का प्रभारी मंत्री भी चुना गया था.
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पार्टी के लिए एक समर्पित नेता
विजय सिन्हा की छवि पार्टी के लिए एक समर्पित नेता की रही है है इसलिए बीजेपी ने एक बार फिर उन पर भरोजा जताया है. इंजीनियरिंग छोड़ राजनीति में बनाया करियर भूमिहार समुदाय और आरएसएस बैकग्राउंड से आने वाले से आने वाले विजय सिन्हा का जन्म लखीसराय के तिलकपुर (मां के घर) में 5 जून 1967 को हुआ था. उनके पिता स्व. शारदा रमण सिंह पटना के बाढ़ (बिहार का एक शहर) स्थित बेढ़ना के हाई स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक थे. उनकी मां का नाम स्व. सुरमा देवी है. बचपन में ही यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से स्वयंसेवक के रूप में जुड़े थे.
15 वर्ष की उम्र में दुर्गापूजा समिति के सचिव बने
1980 में मजह 13 साल की उम्र में उन्होंने बाढ़ में आयोजित बीजेपी के कार्यक्रम में पारिवारिक भागीदारी में सहयोग किया था. 15 वर्ष की उम्र में दुर्गापूजा समिति के सचिव बने थे. 1983 में एएन कॉलेज में पढ़ते हुए उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़कर छात्र राजनीति में कदम रखा था और पॉलिटेक्निक कॉलेज में पढ़ते हुए दो साल बाद ही (1985) राजकीय पॉलिटेक्निक मुजफ्फरपुर छात्र संघ के अध्यक्ष बन गए थे. 1990 में सिन्हा को राजेन्द्र नगर मंडल पटना महानगर भाजपा में उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिली थी.