भागलपुर: जिले के दो प्रखंडों सुल्तानगंज व शाहकुंड की 80 एकड़ में लगी दलहन की फसल में विल्ट का प्रकोप लगने से किसानों की परेशानी बढ़ गयी है. इसने पौधा संरक्षण विभाग की भी चिंता बढ़ा दी है. विभाग के पदाधिकारी किसानों की शिकायत पर खेतों में लगी फसल का जायजा लेना शुरू कर दिये हैं.
जिले के 7000 हेक्टेयर भूमि में दलहन की फसल रबी मौसम में लगायी गयी है. इस बार सुखाड़ से परेशान किसानों ने समय से पहले ही दलहन की बुआई कर दी. हालांकि किसानों ने मिट्टी का उपचार किये बिना दलहन के बीज बो दिये. इससे उखड़ा रोग लग गया.
शाहकुंड अंतर्गत दीनदयालपुर पंचायत की भूधरनी गांव के किसान वीरेंद्र झा ने बताया कि उनके गांव में 20 एकड़ भूमि में लगे चना व पांच एकड़ में मसूर के पौधे सूख रहे हैं. इसकी जानकारी पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक को दी गयी है. पौधा संरक्षण विभाग के केंद्र प्रभारी रजत कुमार साह ने बताया कि शाहकुंड के अलावा सुल्तानगंज से भी शिकायत मिली है. सुल्तानगंज प्रखंड के 10 गांवों की 50 एकड़ व शाहकुंड के पांच गांवों की 30 एकड़ फसल में विल्ट अर्थात उखड़ा रोग का प्रकोप है. इसमें जड़ सूखने के साथ पौधे भी सूखने लगते हैं.
रजत कुमार साह ने बताया कि बुआई से पहले किसानों को ट्रेकोड्रामा से मिट्टी का उपचार करना है. साथ ही जहां बीज बो दिया गया है, वहां कॉपर ऑक्सो क्लोराइड तीन ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर या कार्बन डाइजिन को मेंकोजेब के साथ मिलाकर दो ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना है.
पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक अरविंद कुमार के निर्देश पर पौधा संरक्षण निरीक्षक निवास कुमार एवं किसान सलाहकार सुनील कुमार यादव ने चना व मसूर की फसल का सर्वे किया. यहां लगभग 20 किसानों की ओर से लगायी गयी दलहनी फसल में रोगाणु का प्रकोप है. उखड़ा रोग व दीमक कीट का प्रकोप है.
निवास कुमार ने किसानों को जागरूक करते हुए बताया कि मिट्टी में पर्याप्त नमी रहने के बावजूद पौधे का सूखना, पत्तियाें का पीला होना ही उखड़ा अर्थात विल्ट कहलाता है. फफूंद के अलावा जड़ सड़न व तना सड़न की शिकायत मिलने लगती है. उन्होंने किसानों को बताया कि क्लोरपायरीफॉस 20 प्रतिशत, 2.5 एमएल प्रति लीटर पानी के साथ कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 50 प्रतिशत, डब्ल्यूपी तीन ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्टीकर के साथ 10 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव करना है.