पूर्वी चंपारण. बारसात के मौसम आते ही जिले वासियों के मन में बाढ़ का डर समाने लगा है. गंडक-बूढी गंडक,बागमती व लालबकेया के साथ तकरीबन दर्जनभर नेपाली नदियों से घिरे पूर्वी चंपारण जिले के 27 में से 21 प्रखंड कमोबेश हर साल बाढ की चपेट में होते है. गत वर्ष जून माह में बाढ ने जिले में दस्तक दे दी थी. इसको लेकर इस वर्ष जिला आपदा प्रबंधन विभाग ने व्यापक तैयारी पूरी कर ली है. अपर समाहर्ता आपदा अनिल कुमार व आपदा प्रभारी अमृता कुमारी ने बताया कि बाढ आने के बाद जन समान्य को होने वाली कठिनाईयों के मद्देनजर सभी तैयारी पूर्ण कर ली गई है.
अधिकारी द्व ने बताया कि जिले मे एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की टीम के साथ पर्याप्त नाव ऊंचे स्थानो की पहचान के साथ गत वर्ष की बाढ राहत में कमियों से सीख लेते हुए पर्याप्त व्यवस्था की गई है. हालांकि इस वर्ष जून माह मे समान्य वर्षा 78.6 मिमी के अनुपात में महज 57.6 मिमी. यानी 21 प्रतिशत कम होने से प्राय:सभी नदियो का जलस्तर समान्य बना हुआ है. आपदा कंट्रोल रूम के प्रोग्राम अधिकारी गोविंद कुमार ने बताया कि जिले के सभी नदियो का जलग्रहण क्षेत्र नेपाल है. जहां लगातार बारिश हो रही है फिर भी जलस्तर समान्य है. उन्होने बताया कि शनिवार सुबह वाल्मीकीनगर गंडक बैराज से 45,600 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज की गई है. गंडक का वाटर लेबल चटिया व डुमरियाधाट मे 61.250 मीटर यानी खतरे के निशान से काफी नीचे है. बूढी गंडक लालबेगिया मे 57.040 मीटर एवं अहिरौलिया मे 53.090 मीटर पर बह रही है.जो खतरे के काफी नीचे है. इसके साथ ही बागमती गुआबारी और ढेंग के समीप 69.010 मीटर पर बह रही है. जो चेतावनी बिंदू के नीचे है. हालांकि इन नदियों के जलग्रहण क्षेत्र नेपाल में हो रही बारिश के कारण नदियों में उफान देखा जा रहा है. जिससे कई स्थानों पर कटाव का खतरा मंडरा रहा है.
जल संसाधन सिकरहना के कार्यपालक अभियंता दिनेश कुमार यादव व जल निस्सरण के कार्यपालक अभियंता रणवीर प्रसाद ने बताया कि कटाव संभावित स्थानों के साथ-साथ जमींदारी बांध सहित सभी सुरक्षा तटबंधो की निगरानी और मुआयना किया जा रहा है. जरूरत के हिसाब से कार्य किया जायेगा.