पटना. पटना हाइकोर्ट ने बुधवार को कहा कि किसी भी बैंक से साइबर अपराधियों द्वारा किसी व्यक्ति के पैसे की निकासी की जाती है और उस बैंक को अगर संबंधित उपभोक्ता जानकारी देता है, तो बैंक मैनेजर को तत्काल उस मामले की प्राथमिकी नजदीकी थाने में दर्ज करानी होगी. साथ ही हाइकोर्ट ने सभी थानाध्यक्षों को भी कहा कि अगर कोई व्यक्ति बैंक फ्रॉड के संबंध में उनके यहां लिखित शिकायत करता है और इस बारे में जानकारी दी जाती है, तो उन्हें तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर करवाई शुरू कर देनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो यह अदालती आदेश का अवमानना माना जायेगा और इसके लिए दोषी पाये जाने वाले पर करवाई भी की जा सकती है.
न्यायाधीश संदीप कुमार की एकलपीठ ने साइबर क्राइम से जुड़े मामलों की सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिये. पीठ ने इस मामले को लेकर पटना के कदमकुआं थाने के अध्यक्ष को अगली सुनवाई पर सशरीर कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश भी दिया है, क्योंकि उन्होंने इस मामले की लिखित जानकारी मिलने के बावजूद भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की.
हाइकोर्ट में सभी टेलीकॉम कंपनियों को भी निर्देश दिया कि साइबर क्राइम की जानकारी मिलने के बाद बिहार के बाहर किन-किन राज्यों में कितनी प्राथमिकी उन्होंने दर्ज करायी है, इसकी पूरी जानकारी अगली सुनवाई पर कोर्ट को उपलब्ध कराएं.
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गया जिले के कोंच में दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक से पैसे निकाल कर लौट रहे युवक से 63 हजार रुपये छीनने का मामला प्रकाश में आया है. काबर निवासी गोलू शर्मा के भाई अमित शर्मा पैसे निकालने के लिए कोंच बाजार गये थे. मध्य बिहार ग्रामीण बैंक से 49000 व एटीएम से 14000 रुपये निकाल कर जैसे ही वापस गांव की ओर चले कि तभी बैंक की सीढ़ी के पास पहले से घात लगाये दो नकाबपोश अपराधियों ने पैसे छीन लिए और फरार हो गये. जिसे लेकर अमित शर्मा ने स्थानीय कोंच थाने में आवेदन दिया है. वहीं, थानाध्यक्ष उमेश प्रसाद ने बताया कि पीड़ित द्वारा आवेदन प्राप्त हुआ है. इसमें लिखा गया है कि बैंक और एटीएम से पैसा निकालने के वाद बैंक से बाहर आया. लेकिन, जैसे ही वह मोटरसाइकिल के पास पैकेट चेक किया, तो पैसा गायब था. किसी द्वारा पैकेट मारने की संभावना व्यक्त की गयी है. लूट का मामला गलत है.