Literacy Day: बिहार के इस जिले में पढ़ना-लिखना अभियान से महिलाएं हो रही साक्षर, लेकिन साक्षरता दर अब भी कम
निरक्षरता को दूर करने के लिए सरकार ने वैसे समुदायों की भी पहचान की है जिनके बीच शिक्षा का स्तर कम है. ऐसे लोगों को साक्षर बनाने के लिए राज्य सम्पोषित साक्षरता कार्यक्रम के तहत महादलित, अल्पसंख्यक व अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना से अब लोगों को साक्षर बनाया जा रहा है.
International Literacy Day: आज पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जा रहा है. आज का दिन वैसे लोगों को समर्पित होता है, जिन्होंने साक्षरता अभियान से जुड़कर अक्षर अंक का ज्ञान प्राप्त किया, बल्कि आत्मनिर्भर बनकर विकास की मुख्य धारा में भी शामिल हुए. इसे लेकर विश्व भर में आज के दिन कई कार्यक्रम एवं सेमिनार आयोजित होते हैं. इनमें साक्षरता बढ़ाने की बात कही जाती है. इन कार्यक्रमों में लोगों से पढ़ने और पढ़ाने की अपील की जाती है. लेकिन इसका लोगों पर क्या असर होता है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिहार इस मामले में अभी भी 28 वें स्थान पर है. वहीं सीतामढ़ी जिला का स्थान राज्य में 37 वां है.
पुरुषों के मुकाबले महिला साक्षरता दर काफी कम
ऐसा कहा जाता है कि शिक्षा ग्रहण करने की कोई उम्र नहीं होती है. हर व्यक्ति को हर दिन कुछ न कुछ पढ़ना व सीखना चाहिए. क्योंकि शिक्षा कभी व्यर्थ नहीं जाती है. जीवन में कभी न कभी उसका उपयोग जरूर होता है. सरकारी स्तर से निरक्षर को साक्षर बनाने के लिए कई कार्यक्रम संचालित किए जा रहे है. बावजूद इसके सीतामढ़ी में अभी भी बहुत लोग ऐसे है जो साक्षर नहीं है. जनगणना 2011 के अनुसार सीतामढ़ी की कुल जनसंख्या 34,23,574 है. जिसमें 16,20,322 महिला व 18,03,252 पुरुष शामिल है. इस जनसंख्या का कुल साक्षरता दर 52.05 फीसदी है. जिसमें महिला साक्षरता दर 38.39 प्रतिशत तो पुरुष साक्षरता दर 77.69 फीसदी है. जिले में कुल साक्षर लोगों की संख्या 14,36,794 है. इसमें 8,85,188 महिला व 5,51,606 पुरुष शामिल है.
निरक्षरता को दूर करने के लिए सरकार उठा रही कदम
सरकार ने अभिवंचित वर्ग के सामाजिक, शैक्षिक व आर्थिक उन्नयन के लिए विशेष अभियान संचालित किया है. इस दिशा में नवचारी प्रयोग व अभियान के माध्यम से विद्यालय के बाहर के बच्चों को विद्यालय में नामांकित कर शिक्षा के मुख्य धारा से जोड़ा जा रहा है. निरक्षरता को दूर करने के लिए सरकार ने वैसे समुदायों की भी पहचान की है जिनके बीच शिक्षा का स्तर कम है. ऐसे लोगों को साक्षर बनाने के लिए राज्य सम्पोषित साक्षरता कार्यक्रम के तहत महादलित, अल्पसंख्यक व अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना से अब तक कुल 2 लाख 63 हजार 411 लोगों को साक्षर बनाया गया है. इसके लिए जिले के विभिन्न प्रखंडों में 405 साक्षरता केंद्र संचालित किए जा रहे हैं, जहां शिक्षा सेवक व तालीमी मरकज के द्वारा असाक्षरों को साक्षर बनाने का कार्य किया जा रहा है.
बिहार का सबसे अधिक साक्षर जिला रोहतास
केंद्र प्रायोजित पढ़ना-लिखना अभियान के तहत वर्ष 2021-22 में जिले के 9541 महिलाओं को साक्षर बनाया गया है. जबकि वर्ष 2011 से 18 तक संचालित साक्षर भारत मिशन के तहत 2 लाख 25 हजार 497 लोगों को साक्षर बनाया गया है. वहीं अगर राज्य में साक्षरता के हिसाब से देखा जाए तो शीर्ष जिला रोहतास है. इस जिले की साक्षरता दर 73.37 फीसदी है. वहीं सबसे काम साक्षरता दर पूर्णिया की 51.08 फीसदी है. साक्षरता दर का यह आंकड़ा 2011 की जनसंख्या के आधार पर है.
क्या कहते हैं अधिकारी
अक्षर आंचल योजना के तहत प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में निरक्षर लोगों को साक्षर बनाया जा रहा है. जिले में साक्षरता दर बढ़ाने के लिए 405 साक्षरता केंद्र संचालित किये गये है. विभिन्न योजनाओ व कार्यक्रमों के तहत अबतक जिले में पांच लाख से अधिक असाक्षरों को साक्षर बनाया गया है. वर्तमान में संचालित अक्षर आँचल योजना से निरक्षरता को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है.– रिशु राज सिंह, डीपीओ साक्षरता