जूही स्मिता, पटना. महिला आयोग को भंग हुए इस अक्तूबर दो साल हो जायेगा. लेकिन,अब तक आयोग के सदस्यों और अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पायी है. महिला आयोग में आने वाली पीड़िताओं का न तो आवेदन लिया जा रहा है और न ही उनकी सुनवाई हो रही है. हर दिन पीड़िताओं के परिजन आयोग के गठन को लेकर पूछताछ करने के लिए आते हैं. कई पीड़िताएं अपने घर को फिर बसाने के लिए गुहार लगाती हैं. यहां पीड़िताएं जब अपना आवेदन लेकर आती हैं, तो उन्हें महिला थाना या फिर महिला हेल्पलाइन जाने की सलाह दी जाती है. आयोग के भंग होने के बाद से अब तक 5684 आवेदन पेडिंग है.
आयोग में जो भी आवेदन पेंडिंग हैं, उनका रजिस्टर मेंटेन किया जाता है. जिन मामलों की तारीख पिछले साल की थी, वे सभी पेंडिंग हो गयी है. साल 2020 में कुल 3053 आवेदन आये थे. आयोग भंग होने के बाद से इनमें से 1415 आवेदनों पर कार्रवाई नहीं हो पायी है. वहीं, आज भी पोस्ट के जरिये कई पीड़िताएं अपना आवेदन महिला आयोग भेजती हैं, लेकिन वे सभीबस रजिस्टर में दर्ज हो कर रह जाते हैं. साल 2021 में पोस्ट के जरिये 2544 आवेदन आये, जबकि इस साल सितंबर तक 1725 आवेदन आये हैं. इस तरह 5684 आवेदन बिना सुनवाई के पड़े हैं.
उप सचिव अंजू कुमारीबताती हैं कि 30 अक्तूबर को आयोग भंग हुए दो साल हो जायेंगे. आयोग के भंग होने के बाद से कोई सुनवाई नहीं हुई है. हमारे पास कई बार ऐसे भी आवेदन आये, जिसमें त्वरित कार्रवाई करने की जरूरत थी. ऐसे में उचित कार्रवाई के लिए आवेदनों को संबंधित जिलों के एसपी को भेजा जाता है. पिछले आठ महीनों में 85 ऐसे मामले यहां आ चुके हैं. कई महिलाओं को आयोग के पुनर्गठन का इंतजार है. उनका कहना है कि यहां पर मामले को गंभीरता से लेकर तुरंत कार्रवाई होती है.
महिला आयोग की पहल से कई पीड़िताओं को अपने ससुराल में रहने का मौका मिला था. आयोग की ओर से लगातार फॉलोअप होने की वजह से पीड़िताओं के अपने परिवार के साथ संबंध बेहतर हो रहे थे, लेकिन आयोग के भंग होने के बाद कई मामलों की सुनवाई नहीं हो पायी और न ही इसका कोई फॉलोअप हो पाया. इसकी वजह से कई पीड़िताएं अब अपने मायके में रह रहीं है.
पूर्व अध्यक्ष दिलमणि मिश्राबताती हैं कि आज भी उनके पास करीब 8-10 कॉल मदद के लिए आते हैं. वे बताती हैं कि पीड़िताएं और उनके परिजन रोजाना उन्हें कॉल कर मदद की गुहार लगाते हैं. वे उन्हें समझाती हैं कि आयोग भंग हो गया है और वह अब अध्यक्ष नहीं हैं. फिर भी वह प्रशासन से बात कर पीड़िताओं की मदद करती हैं.