Women of the Week: मंजिल उन्हें मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है : सिद्धि
Women of the Week: मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है. यह कहना है सीवान की रहने वाली 11वीं की छात्रा सिद्धि कुमारी का.
Women of the Week: अगर आपको किसी काम के प्रति जुनून और हौसला हो, तो कोई भी काम आसानी से किया जा सकता है. मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है. यह कहना है सीवान की रहने वाली 11वीं की छात्रा सिद्धि कुमारी का. सिद्धि शास्त्री नगर स्थित राजकीय कन्या मध्य विद्यालय में 11वीं की छात्रा हैं. जब वे कक्षा छठी में थीं, तभी से उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया और आज वे राष्ट्रीय स्तर पर परचम लहरा रही हैं. उनका कहना है कि एक छोटे से गांव से निकलकर यहां तक का सफर मेरे लिए आसान नहीं था, लेकिन कई चुनौतियों का सामना कर वे आज इस मुकाम पर हैं.
Q. हॉकी खेलने का मन कैसे बनाया?
– जब मैं सिवान में रहती थी, तब वहां एक कोच थे, जो छात्राओं को क्रिकेट की ट्रेनिंग देते थें. उनके कहने पर मैंने भी क्रिकेट खेलना शुरू किया. पर कुछ दिनों के बाद उन्होंने बताया हमें बताया कि अब यहां हॉकी की प्रैक्टिस होगी. फिर मैंने क्रिकेट छोड़ हॉकी सीखने लगी. अब मुझे हॉकी से काफी लगाव हो गया है.
Q. गांव में रहते आपको कितनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
– जब मैंने इस खेल को अपनाया, तब से ही चुनौतियां बढ़ने लगीं. जब घर में मैंने इसके बारे में बताया, तो वे मना करने लगे. हालांकि मेरे दादाजी का इसमें भरपूर सहयोग मिला. आस-पास के लोग पहनावे और खेल को लेकर ताने मारते थे, लेकिन उस वक्त एक जुनून था. प्रैक्टिस के लिए ग्राउंड पर सुबह चार बजे प्रैक्टिस के लिए जाना होता था. मम्मी के मना करने के बावजूद सुबह जल्दी उठकर, अंधेरे में तैयार होकर, गेट खोल कर सुबह 3:30 बजे प्रैक्टिस के लिए पहुंच जाती थी. वापस आने पर डांट भी पड़ती थी. फिर पटना आना हुआ और यहां पर पढ़ाई के साथ कोच मिन्नी कुमारी से हमारी मुलाकात हुई. उनसे मैंने ट्रेनिंग ली और उनके नेतृत्व में पहला मैच भागलपुर में खेला.
Q. खेलते वक्त गेम जीतने का कितना प्रेशर होता है?
– गेम है, तो थोड़ा बहुत प्रेशर तो रहता ही है. यहां पर खिलाड़ी ग्रास लेवल पर प्रैक्टिस करती हैं. जब हम लोग बाहर जाते हैं, तो वहां टर्फ पर खेलना होता है. ऐसे में हमें खेलने की रणनीति में थोड़ा बदलाव करना पड़ता है. यहां के बीआरसी ग्राउंड में टर्फ है, तो यहां हम लोग प्रैक्टिस करते थे. अब यह अच्छी बात हो गयी है कि राजगीर में हॉकी को लेकर पहल की गयी है, जो हम जैसे खिलाड़ियों के लिए वरदान है.
Q. आपने कौन-कौन सा मैच खेला है?
– साल 2019 में अंडर 40 स्कूल टूर्नामेंट खेला था. फिर जिला स्तर, राज्य स्तर कई मैच खेला और बेस्ट प्लेयर का खिताब मिला. साल 2021 में पहली बार इम्फाल में सब जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में भाग लिया. इसके बाद नेशनल खेलने के लिए ओडिशा, झारखंड और अन्य राज्यों में गयी. इस दौरान मेजर ध्यानचंद प्लेयर ऑफ द मैच से भी नवाजा गया. अभी 22 नवंबर को हैदराबाद में सब जूनियर नेशनल चैंपियनशिप का हिस्सा बनूंगी.
Q. अब जब आप अपने घर जाती हैं, लोगों की क्या प्रतिक्रिया होती है?
– आज हॉकी को लेकर लोगों की सोच खासकर लड़कियों को लेकर काफी बदली है. अब तो घरवालों का भरपूर सहयोग भी मिल रहा है. जहां पहले लोग ताने देते थे, आज सफलता मिलने के बाद बेटियों को इस खेल से जुड़ने की सलाह लेते हैं. मुझे बिहार की बेटियों के लिए एक मिसाल बनने के साथ इस खेल में राज्य का नाम रोशन करना है.