Women Success Story. कहा जाता है कि महिला अगर कुछ भी ठान ले तो कितने भी संघर्ष के बाद भी उसे पूरा कर ही लेती है. ऐसे ही आज हम आपको एक महिला की सक्सेस स्टोरी बताने जा रहे हैं. जिनके जीवन में तमाम कठिनाई आई लेकिन वो कभी हार नहीं मानी. आज वो एक आईआरएस ऑफिसर हैं. हम आपको गुजरात जन्मी कोमल की कहानी बताने जा रहे हैं. जिनकी संघर्ष यात्रा तो काफी लंबी रही लेकिन वो जीवन में कभी पीछे नहीं लौटीं. कोमल अपने चौथे प्रयास में 591 रैंक के साथ आज आईआरएस ऑफिसर हैं. आइए जानते हैं उनकी संघर्ष यात्रा जो आज लाखों महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं.
गुजरात के अमरेली 1982 में कोमल का जन्म हुआ. उसकी शुरुआती पढ़ाई गुजराती मीडियम में हुई. इसके बाद कोमल ने तीन अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की. लेकिन इसके बाद कोमल का जीवन बदलने वाला था उसकी संघर्ष यात्रा शुरू होने वाली थी. 26 वर्ष की आयु में उसकी शादी हुई 2008 में कोमल की शादी न्यूजीलैंड में रहने वाले एक एनआरआई लड़के से हुई लेकिन शादी के महज 15 दिनों बाद ही उनकी दुनिया उजड़ गई जब उनके ससुराल वालों ने दहेज के लिए कोमल को घर से निकाल दिया. उनके पति भी महज 15 दिनों बाद विदेश चले गए और कभी लौटकर नहीं आए.
वहीं, इस बुरे दिन के बीच में 2008 में भी कोमल ने गुजरात लोक सेवा आयोग की मेंस परीक्षा पास कर ली थी. लेकिन शादी होने के वजह से कोमल में इंटरव्यू में भाग न लेने का फैसला किया. उस वक्त तक सब कुछ ठीक था. लेकिन उसे क्या पता था कि आगे क्या होने वाला है. शादी के 15 दिन बाद ही उसकी शादी टूट गई. लेकिन उसके जीवन में सिर्फ शादी टूटी थी. कोमल का हौसला अभी नहीं टूटा था. पूरी तरह से नाकामयाब होने के बाद वे अपने माता-पिता के घर आ गई. लेकिन अपने माता-पिता के घर भी परेशानियों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा. शादी टूटने के कारण आस-पड़ोस के लोग उन्हें ताना मारने लगे जिससे परेशान होकर कोमल ने घर से दूर जाकर रहने का फैसला लिया. कोमल अपने घर से दूर एक गांव में रहने लगी. वह जिस गांव में रहती थी वहां न इंटरनेट की सुविधा थी और न ही अंग्रेजी का अखबार आता था. इसके बावदूज उन्होंने अपनी तैयारी रखी. वे तैयारी के दौरान एक स्कूल में पढ़ाती भी थीं.
इस दौरान कोमल को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. यूपीएससी में भी 3 बार असफल हो गई. उसके बाद भी वो पीछे नहीं लौटी. वो यूपीएससी की तैयारी में करती रही. वो कहते हैं न मेहनत करने वाले जो कभी हार नहीं मानते हैं उन्हें एक दिन जरूर सफलता मिलना तय है. ऐसा ही कुछ कोमल के साथ भी हुआ. कोमल चौथी बार भी परीक्षा में बैठी और सफल हो गईं, अपने चौथे प्रयास में उन्हें 591 रैंक मिली और वो आईआरएस ऑफिसर बन गईं. आज वो कई महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं. जो कुछ करना चाहती हैं. लेकिन जिनके रास्ते कठिनाई से भरा है. वो कोमल से हिम्मत ले सकती हैं और अपने जीवन में आगे बढ़ सकती हैं.