बिहार में सुरक्षा से खिलवाड़, सार्वजनिक वाहनों में ट्रैकिंग डिवाइस लगाने का काम बेहद धीमा

नियमों के मुताबिक किसी भी कैब में कम-से-कम तीन वीएलटीडी का लगाना जरूरी है. एक ड्राइविंग सीट, दूसरा फ्रंट सीट और तीसरा कैब की पिछली सीट पर. इसी तरह बस में चार वीएलटीडी लगाना जरूरी होता है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 4, 2023 3:19 AM

बिहार में परिवहन विभाग ने पिछले साल एक सितंबर से सार्वजनिक वाहनों में व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (वीएलटीडी) लगाना अनिवार्य कर दिया है. नियम यहां तक है कि पुराने सार्वजनिक वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट वीएलडीटी लगाने के बाद ही मिलेगा. लेकिन, पटना सहित राज्य के दूसरे जिलों के व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस लगाने का काम बेहद धीमा है. एक सितंबर, 2022 से लेकर फरवरी, 2023 तक सिर्फ आठ हजार गाड़ियों में वीएलटीडी लगाया गया है. सबसे अधिक पटना जिले में करीब दो हजार गाड़ियों में वीएलटीडी लगाया गया है. उसके बाद मुजफ्फरपुर जिले का स्थान है, जहां 700 गाड़ियों में ही इस डिवाइस को लगाया गया है.

एक सितंबर, 2022 को लागू हुई थी वीएलटीडी योजना

दरअसल सार्वजनिक वाहनों (बस, कैब,टैक्सी) में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए ट्रैकिंग डिवाइस और पेनिक बटन लगाना एक सितंबर, 2022 से अनिवार्य है. मकसद था कि सार्वजनिक वाहनों में सफर करने वाली महिलाओं को जैसे ही खतरे का आभास होगा, वे पैनिक बटन दबायेंगी. पैनिक बटन दबाते ही कंट्रोल एंड कमांड सेंटर में अलार्म बजेगा और तत्काल मदद के लिए पुलिस पहुंचेगी.

बेली रोड स्थित विश्वश्वरैया भवन में बाकायदा कमांड सेंटर बनाया गया है, जिसका उद्घाटन एक सितंबर को परिवहन मंत्री शीला मंडल ने किया था. लेकिन, आठ महीने बीत जाने के बावजूद पूरे बिहार में सिर्फ आठ हजार गाड़ियों में ट्रैकिंग सिस्टम लगाया गया है. इनमें सार्वजनिक गाड़ियों से ज्यादा निजी गाड़ियां हैं, जबकि बिहार के 38 जिलों में हर महीने हजारों गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन होता है. हालांकि, पटना की कुछ बसों में जरूर वीएलटीडी लगाया गया है, लेकिन पटना से दूरदराज के हिस्सों में पहुंचने वाले सार्वजनिक वाहन अब भी बिना ट्रैकिंग डिवाइस के ही रवाना हो रहे हैं.

ओवर स्पीड पर लगाम, यात्रियों की सुरक्षा

26 अप्रैल, 2022 को परिवहन मंत्री शीला कुमारी और सचिव संजय अग्रवाल ने कंट्रोल एंड कमांड सेंटर का उद्घाटन किया था. इसके बाद करीब 11 महीने में वीएलटीडी का काम काफी धीमा है. जबकि वीएलटीडी लगाने से जहां विभाग के अधिकारियों को गाड़ियों की ओवर स्पीड पर रफ्तार लगाने में मदद मिलती है, वहीं महिलाओं और यात्रियों की सुरक्षा भी कंट्रोल एंड कमांड सेंटर के जरिये होती है.

कैब में कम-से-कम तीन वीएलटीडी का लगाना जरूरी

नियमों के मुताबिक किसी भी कैब में कम-से-कम तीन वीएलटीडी का लगाना जरूरी है. एक ड्राइविंग सीट, दूसरा फ्रंट सीट और तीसरा कैब की पिछली सीट पर. इसी तरह बस में चार वीएलटीडी लगाना जरूरी होता है. दो मीटर की दूरी पर वीएलटीडी के साथ ही पैनिक बटन का लगाना आवश्यक है. पहले साल वीएलटीडी स्टालेशन पर पांच हजार रुपये, जबकि अगले साल से वीएलटीडी के नवीनीकरण पर एक हजार रुपये खर्च होते हैं.

Also Read: बिहार में दो हजार से अधिक बसों का होगा परिचालन, दूसरे राज्यों के लिए भी चलेंगी बसें, पॉलिसी तैयार
पटना के लोगों में उत्साह नहीं

वीएलडीटी लगाने के लिए पटना के लोगों में उत्साह नहीं है. हालांकि, वीएलडीटी लगाने का खर्च ज्यादा नहीं है. जिनके पास कार है या लाखों की गाड़ी है, उनके लिए यह डिवाइस सुरक्षा की एक ठोस वजह है. विभाग अभियान चलाकर इस दिशा में काम करेगा. –श्रीप्रकाश, डीटीओ, पटना

Next Article

Exit mobile version