पटना. कृषि के क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर पैदा करने और किसानों की आय को दोगुना करने के लिए सरकार ने शहद के उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन की जो योजना बनायी है उसकी नीति बनने के कगार पर है.
कारोना महामारी यदि नहीं आती तो अब तक सरकार इसको सार्वजनिक भी कर चुकी होती. कुछ माह पहले सहकारिता विभाग के उच्चाधिकारियों ने देश की विभिन्न संस्थाओं और विशेषज्ञों के साथ इस पर मंथन किया था.
विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी ने नीति निर्धारण के लिए कुछ अधिकारियों में जिम्मेदारी बांटी थी. शहद उत्पादन विपणन नीति में बिहार की भौगोलिक और क्षेत्रीय पारिस्थितिक के जरूरी तत्वों को ध्यान में रखकर ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है. मई माह में इसको लेकर संयुक्त बैठक होनी थी, लेकिन कोरोना के कारण इसके टलने की खबर है.
कार्यालयों में 33 फीसदी की उपस्थित का नियम लागू होने से योजना से जुड़े सभी अधिकारी- कर्मचारी एक साथ विचार- विमर्श नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि, काफी काम आॅनलाइन मीटिंग और टेलीफोन पर संवाद के जरिये पूरा कर लिया गया है. छूट, लाइसेंस, सब्सिडी आदि महत्वपूर्ण विषय बिंदुओं के लिए हाइपॉवर कमेटी के साथ विचार विमर्श किया जाना है.
सहकारिता विभाग ने राज्य में शहद उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए यह योजना बनायी है. इसके लिए देश की प्रमुख कंपनियों और संस्थाओं के विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है. सहकारिता विभाग की सचिव वंदना प्रेयषी की अध्यक्षता में आॅनलाइन कार्यशाला का भी आयोजन किया गया था.
तय हुआ कि मधुमक्खी पालकों के हित को सबसे ऊपर रखा जायेगा. गौरतलब है कि बिहार देश का दूसरा सबसे बड़ा मधु उत्पादक राज्य होने के बाद भी इसका लाभ नहीं ले पा रहा है. यहां का शहद अंतराष्ट्रीय मापदंडों पर फेल हो रहा है.
Posted by Ashish Jha