विश्व एड्स दिवस : कोरोना काल में एचआइवी-एड्स मरीजों की बढ़ी परेशानी, मासिक सहायता भी हुई बंद
दूर-दराज के इलाकों में रह रहे एड्स पीड़ितों तक दवा पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं.
साकिब. पटना : कोरोना ने एचआइवी-एड्स पीड़ितों की जिंदगी को भी प्रभावित किया है. कोरोना काल में उनके कल्याण के लिए चल रही कई सरकारी योजनाओं पर ब्रेक लग गया. लॉकडाउन में सबसे पहले तो एआरटी सेंटरों पर इनको आने में परेशानी होने लगी. ऐसे में दूर-दराज के इलाकों में रह रहे एड्स पीड़ितों तक दवा पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं था.
हालांकि बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति की पहल पर कई एनजीओ की मदद से लॉकडाउन के दिनों में भी उन तक दवा पहुंचायी गयी. इसके बावजूद आशंका इस बात की है कि कई एड्स पीड़ितों को समय से दवा नहीं मिलने से उनकी बीमारी दूसरे या तीसरे स्टेज में पहुंच गयी होगी.
कोरोना काल में बंद रही 1500 मासिक सहायता राशि
बिहार शताब्दी एड्स पीड़ित कल्याण योजना के तहत बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा रजिस्टर्ड एड्स पीड़ितों के खाते में हर महीने आने वाली 1500 रुपये की राशि कोरोना काल में बंद है.
हालांकि एड्स दिवस के अवसर पर समिति ने फरवरी 2020 से अक्तूबर 2020 तक की राशि खातों में ट्रांसफर करने की घोषणा की है. वहीं, कोरोना काल में एआरटी सेंटरों में डॉक्टरों की संख्या नहीं बढ़ायी जा सकी.
बिहार नेटवर्क फॉर पीपुल लिविंग विथ एचआइवी- एड्स सोसाइटी के अध्यक्ष ज्ञान रंजन के मुताबिक पूर्व में चल रहे 20 एआरटी सेंटरों में से 13 में डॉक्टर नहीं है. इन 20 एआरटी सेंटरों में से मात्र एक जगह दरभंगा में महिला डॉक्टर है.
बढ़ सकती है एड्स मरीजों की परेशानी : एचआइवी-एड्स के इलाज और इसकी रोकथाम को लेकर दशकों से सक्रिय डॉ दिवाकर तेजस्वी कहते हैं कि लॉकडाउन की अवधि में एड्स मरीजों की दवाओं की आपूर्ति बाधित हुई थी.
टीबी की जांच भी प्रभावित हुई. वह इन पीड़ितों के लिए एक मुश्किल समय था. अब जरूरत है कि इस बात का मूल्यांकन हो कि कितने मरीजों की दवा इस दौरान बंद हो गयी थी और इससे वे बीमारी के सेकेंड या थर्ड स्टेज में पहुंच गये. ऐसा हुआ तो मरीजों की परेशानी बढ़ेगी. जागरूकता के लिए आयोजित कार्यक्रम भी बंद हैं.
Posted by Ashish Jha