बिहार समेत देशभर में कैंसर के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि अगर इसी तेजी से कैंसर बढ़ता रहा तो आने वाले समय में हम सभी के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती होगी. साथ ही हर दस में से एक व्यक्ति कैंसर का मरीज हो सकता है. आंकड़ों के मुताबिक हर वर्ष देश में करीब 15 लाख नये कैंसर मरीज सामने आ रहे हैं.
बात बिहार की करें तो यहां भी हर वर्ष 85 हजार नये कैंसर मरीज आते हैं. बिहार में एक समय में करीब 2 लाख 75 हजार कैंसर के पेशेंट सर्वाइव कर रहे होते हैं. ऐसे में इन्हें बेहतर इलाज मुहैया कराना भी एक बड़ी चुनौती भी बनती जा रहा है. आज विश्व कैंसर दिवस पर पेश है साकिब व जूही स्मिता की रिपोर्ट
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तंबाकू का इस्तेमाल न करें.
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यह 40 प्रतिशत कैंसर का कारण है.
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फास्ट फूड या डिब्बा बंद खाने से परहेज करे.
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तली-भूनी, ज्यादा वसा वाले एवं मसालेदार भोजन से परहेज करें
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स्वच्छ पानी एवं पौष्टिक खाने को आहार में शामिल करना
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संतुलित जीवनशैली अपनाये और रोजाना योग एवं एक्सरसाइज करें
कैंसर का इलाज करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि पिछले दो-तीन वर्षों में बिहार में पुरुषों में प्रोस्टेट और फेफड़े का कैंसर तेजी से बढ़ा है. पुरुषों में सबसे ज्यादा खतरा जननांग के हिस्से में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर से होता है. फेफड़ों में कैंसर के बाद सबसे ज्यादा मौतें प्रोस्टेट कैंसर की वजह से ही होती हैं.
सीडीसी की रिपोर्ट बताती है साल 2007 में पाये गये करीब 100,00 कैंसर पीड़ितों में से करीब 29,000 लोगों की मौत प्रोस्टेट कैंसर की वजह से हुई थी. बिगत वर्षों में गंगा के तटवर्ती इलाकों में आर्सेनिक की अधिक मात्रा पाये जाने के कारण पेट से संबंधित कैंसर तेजी से बढ़ा है. राज्य में 18 प्रतिशत कैंसर मरीज अब पहले स्टेज में आने लगे हैं तीन-चार वर्ष पहले तक यह संख्या 12 से 13 प्रतिशत थी.
महिलाओं में आमतौर पर स्तन, गर्भाशय, कोलोरेक्टल, अंडाशय और मुंह का कैंसर के मामले अधिक देखते जाते हैं. एक सर्वे के मुताबिक भारत में सर्वाइकल कैंसर से हर आठ मिनट में एक महिला की मृत्यु हो जाती है.
बिहार की महिलाएं तंबाकू का इस्तेमाल कम करती हैं इसलिए उनमें मुंह का कैंसर बहुत कम पाया जाता है. महिलाओं में होने वाले बच्चेदानी के कैंसर को वैक्सीन से रोका जा सकता है. इसके लिए शादी से पूर्व और 12 से 24 वर्ष के बीच लड़कियों को वैक्सीन देनी होती है लेकिन जागरूकता की कमी के कारण यह वैक्सीन बहुत कम लड़कियों को लग पाती हैं.
राज्य के मशहूर कैंसर रोग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ जितेंद्र कुमार सिंह के मुताबिक कैंसर शुरुआती दौर में कभी कोई तकलीफ नहीं देता है. जब तकलीफ बढ़ती है और हम डॉक्टर के पास जाते हैं तो उस समय तक बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है. बीमारी को प्रारंभिक अवस्था में पकड़ लिया जाये तो इसे काफी हद तक ठीक किया जा सकता है.
डॉक्टर सिंह बताते हैं कि कैंसर का इलाज जितना जल्दी शुरू हो जायेगा उसके ठीक होने की संभावना उतनी अधिक होगी. आज के समय में इसका बेहतर इलाज मौजूद है. पहले स्टेज में अगर इसका पता चल जाये तो मरीज पूरी तरह से ठीक भी हो सकता है. संतुलित जीवनशैली को अपना और तंबाकू से दूरी बनाकर 80 से 90 प्रतिशत लोग कैंसर से बच सकते हैं. इस वर्ष विश्व कैंसर दिवस की थीम है ‘आइ कैन एंड आइ विल’.
हमारा शरीर अनेक प्रकार की कोशिकाओं से बना होता है. आमतौर पर ये कोशिकाएं नियमित और नियंत्रित तरीके से विभाजित होती रहती है. यही कोशिकाएं धीरे-धीरे एक गांठ के रूप में जमा हो जाती है और वहीं ट्यूमर (गांठ) का रूप ले लेती है जो कुछ समय तक अपनी ही जगह पर रहती है और पूरे शरीर को प्रभावित करती है, जिसे हम कैंसर कहते हैं.
कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ वीपी सिंह कहते हैं कि तंबाकू कैंसर का सबसे बड़ा कारण है. दुनिया भर में आज तंबाकू के सेवन से लगभग 50 लाख लोग हर वर्ष मरते हैं. भारत में भी हर वर्ष तंबाकू के कारण दस लाख से ज्यादा लोग मरते हैं.
आशंका है कि यह संख्या 2022 तक 25 लाख हो जायेगी. भारत में 20 लाख से ज्यादा मरीज तंबाकू सेवन के कारण कैंसर पीड़ित हैं. डॉ वीपी सिंह कहते हैं कि आइसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक पुरुषों में 50 प्रतिशत और महिलाओं में 25 प्रतिशत कैंसर का कारण तंबाकू है.
शरीर में कहीं पर भी कोई गांठ या गिल्टी का होना कैंसर का एक प्रमुख लक्षण है. इसके साथ ही पेशाब, थूक, खखार या बलगम में खून का आना भी कैंसर का एक लक्षण हो सकता है. इसके साथ ही शरीर का वजन लगातार घटने लगना.लंबे समय तक बुखार का आना.
मुंह के अंदर में रंग में परिवर्तन या घाव का होना . बच्चेदानी में असमय खून का स्राव होना. आवाज में लंबे समय से परिवर्तन .खाना या पानी निगलने में कठिनाई .मस्से में रूप, रंग या आकार में कोई परिवर्तन. शौच या पेशाब की आदतों में परिवर्तन आदि भी कैंसर का प्रमुख लक्षण हो सकता है.