आनंद तिवारी, पटना. आज विश्व हृदय दिवस है. खान-पान और जीवन शैली में सुधार करने के लिए संकल्प लेने का दिन है. बदलते परिवेश और अनियमित जीवन शैली के कारण लोग अपना स्वस्थ जीवन जीने के तरीके भी भुलते जा रहे हैं. नतीजा है कि हृदय रोग से संबंधित समस्याएं भी बढ़ती जा रही है. इंडियन कॉडियोलॉजी ऑफ इंडिया बिहार चैप्टर की ओर से जारी सर्व आंकड़े के अनुसार पटना जिले में आबादी के सात प्रतिशत लोग किसी न किसी कारण हृदय ग्रस्त रोग से पीड़ित हैं. इनमें व्यस्कों की संख्या अधिक है. यहां तक कि 40 प्रतिशत मौत हार्ट अटैक से हो रही है.
पांच महीने में साढ़े 9 हजार मौत, इनमें 40 प्रतिशत हार्ट अटैक से
सोसाइटी की ओर से हाल ही में शहर के शवदाह गृह व अलग-अलग अस्पतालों से मौत के मामलों की पड़ताल की गयी. इनमें अप्रैल से अगस्त तक कुल 9 हजार 500 लोगों का अंतिम संस्कार हुआ. ये मौत पटना के आइजीआइएमएस, पीएमसीएच, एनएमसीएच, एम्स और निजी अस्पताल में इलाज कराने आएं गंभीर मरीजों की उपचार के दौरान हुई. इनमें 40 प्रतिशत मौत कारण हार्ट अटैक बताया गया. मरने वालों में युवाओं की संख्या भी अधिक थी. वहीं शहर के इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में आने वाले कुल हृदय रोगियों में 15 प्रतिशत युवा ऐसे हैं जिनको हार्ट अटैक के बाद भर्ती किया जाता है.
पटना में अभी ओपन हार्ट सर्जरी की सुविधा कहीं नहीं
शहर के सरकारी अस्पतालों में इनदिनों ओपन हार्ट सर्जरी की सुविधा मरीजों को नहीं मिल पा रही है. शहर के आइजीआइसी, आइजीआइएमएस, एनएमसीएच, पीएमसीएच व एम्स में बड़ी-बड़ी बिल्डिंग तो बनायी गयी है लेकिन अभी तक इन अस्पतालों में ओपन हार्ट सर्जरी शुरू नहीं हो पायी है. ऐसे में मरीजों को निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है. खासकर सबसे अधिक मरीज बाइपास सर्जरी के लिए आते हैं, जिनको इलाज नहीं मिल पाता है. जबकि हाल ही में करोड़ों रुपये की लागत से आइजीआइसी में 500 बेड का नौ फ्लोर का नया अस्पताल बनाया गया है.
पीएमसीएच में कैथ लैब की सुविधा, 40 हजार में होती है एंजियोप्लाटी
पीएमसीएच में छह महीने पहले करीब चार करोड़ रुपये की लागत से नया कैथ लैब बनाया गया है. जहां मरीजों का नि:शुल्क इलाज किया जा रहा है. यहां दो महीने पहले हार्ट के मरीजों को एंजियोप्लास्टी की सुविधा मिलने लगी है. लेकिन अभी इसके लिए मरीज को शुल्क देना होगा. जल्द ही यहां दिल की अनियमित धड़कन के इलाज की भी व्यवस्था होगी. इसके लिए इलेक्ट्रो फिजियोलॉजिकल स्टडी मशीन की व्यवस्था हो रही है. पीएमसीएच में कैथ लैब की व्यवस्था होने के बाद हार्ट मरीजों को कई जांच और इलाज की सुविधा मिलने लगी है. सबसे पहले एंजियोग्राफी और पेसमेकर लगाने की व्यवस्था की गई थी. एंजियोग्राफी जांच की प्रक्रिया है. इससे ब्लॉकेज की जानकारी मिलती है. उसके बाद एंजियोप्लास्टी के जरिए स्टेंट लगाया जाता है. यहां एंजियोप्लास्टी कराने में 40 हजार से 50 हजार तक खर्च होते हैं. जबकि, प्राइवेट अस्पतालों में 1.5 लाख से 2 लाख तक लगते हैं. यहां अभी तक आठ मरीजों की एंजीयोप्लास्टी की जा चुकी है.
बिहार के 12 जिलों से सबसे अधिक पटना आ रहे हार्ट अटैक के मरीज
राजधानी तक आसान पहुंच और समय पर त्वरित फैसले के कारण पटना जिले के सुदूरवर्ती गांवों के साथ 11 जिलों के लोग हार्ट अटैक के केस में झटपट पटना भागते हैं. पटना के साथ वैशाली, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, आरा, छपरा, नवादा और नालंदा के लोग मरीज को लेकर सीधे निकलते हैं. ये लोग अशोक राजपथ स्थित इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान (आइजीआइसी) या बेली रोड स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) व पीएमसीएच के कैथ लैब में गोल्डन आवर के दौरान जरूरी इलाज करा लेते हैं. वहीं डॉक्टरों के मुताबिक जो दो घंटे में नहीं पहुंच सकते वह एक्सपर्ट की देखरेख जरूरी इंजेक्शन लेकर निकलें तो इन जिलों से आकर एंजियोप्लास्टी समय पर संभव है. पटना में छह प्राइवेट अस्पतालों में फिलहाल कैथ लैब पूरी तरह ऑपरेशनल है. एम्स के कैथ लैब में भी एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी शुरू हो गयी है.
यह है मौतों की वजह
-
हार्ट अटैक- 40 प्रतिशत
-
ब्रेन हेमरेज- 10 प्रतिशत
-
दुर्घटना – 15 प्रतिशत
-
लिवर खराब- 5 प्रतिशत
-
किडनी खराब- 5 प्रतिशत
-
पीलिया – 2 प्रतिशत
-
छाती में संक्रमण – 3 प्रतिशत
-
टीबी की बीमारी – 2 प्रतिशत
-
अन्य बीमारी – 19 प्रतिशत
क्या कहते हैं एक्सपर्ट डॉक्टर
“पहले की अपेक्षा आज कम उम्र के लोग भी हृदय रोग के शिकार हो रहे हैं. पहले आमतौर पर 50 साल से उपर के लोगों में हृदय रोग से संबंधित समस्या ज्यादा देखने को मिलती थी. लेकिन खासकर कोरोना के बाद वर्तमान परिवेश में देखा जाय तो 25 साल के लोगों में भी हार्ट संबधी समस्या होने देखने को मिल रही है. 50 साल से उपर के करीब 15-20 प्रतिशत लोगों में हृदय रोग से संबंधित शिकायत देखने को मिल रहा है. वहीं 40-50 साल के लोगोें में 10 और 25-40 साल के लोगों में 5 प्रतिशत लोग हृदय रोग के शिकार हो रहे हैं.”
-
डॉ रवि विष्णु, अध्यक्ष हृदय रोग विभाग आइजीआइएमएस.
इनका कहना है
कैथलैब की सुविधा शुरू होने पर पटना में गरीब मरीजों का अच्छा इलाज होने लगा है. अबतक सात से अधिक मरीजों की एंजियोप्लास्टी की जा चुकी है. सभी मरीज ठीक हैं. कैथ लैब की सुविधा बहाल होने से मरीजों की संख्या 40 फीसदी तक बढ़ गई है. आयुष्मान योजना के तहत उपकरणों के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू की गई है. अभी एंजियोग्राफी के लिए 6 हजार, एंजियोप्लास्टी के लिए 40 हजार से 50 हजार और पेसमेकर के लिए 60 हजार से 65 हजार तक खर्च करने पड़ रहे हैं.
-
डॉ आइएस ठाकुर, अधीक्षक पीएमसीएच.
तैलीय पदार्थ का सेवन करना बेहद खतरनाक
तैलीय पदार्थ का सेवन करना हृदय रोग के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है।.लोग अपनी डाइट में ऑयल का सेवन कम करें. जितना हो हरी सब्जी, फल व सलाद खाएं. क्योंकि ऑयल के ज्यादा सेवन से शरीर की नसों में फैट जमा होने लगता है. जिससे हार्ट अटैक की सम्भावनाएं बढ़ जाती है. स्वस्थ व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा सरसों के तेल को अपनी डाइट में रखना चाहिए. रिफाइन तथा नारियल के तेल का प्रयोग कम करना चाहिए.
-
डॉ अशोक कुमार, हृदय रोग विशेषज्ञ, पीएमसीएच.