विश्व हेपेटाइटिस दिवस: बिहार में लगातार बढ़ रहे मरीज, IGIMS में हर 100 में से चार मरीज हेपेटाइटिस बी के रोगी

बिहार में खासकर पटना में हेपेटाइटिस के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. इनमें सबसे अधिक हेपेटाइटिस बी के मरीज शामिल हैं. शहर के आइजीआइएमएस व पीएमसीएच के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग को मिलाकर रोजाना 23 से 25 के बीच मरीज इलाज कराने आ रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 27, 2023 11:59 PM

आनंद तिवारी, पटना. खतरनाक माने जाने वाले हेपेटाइटिस के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. इनमें सबसे अधिक हेपेटाइटिस बी के मरीज शामिल हैं. शहर के आइजीआइएमएस व पीएमसीएच के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग को मिलाकर रोजाना 23 से 25 के बीच मरीज इलाज कराने आ रहे हैं. इन दोनों ही अस्पतालों में जनवरी से जून तक यानी कुल छह महीने में इन दोनों अस्पतालों में 4506 मरीज हेपेटाइटिस बीमारी के पंजीकृत किये जा चुके हैं. जानकारों की मानें, तो अगर यही रफ्तार रही, तो एक साल में यह संख्या नौ हजार के पार पहुंच जायेगी.

मिले 100 में चार मरीज हेपेटाइटिस बी के

आइजीआइएमएस के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग में हेपेटाइटिस को लेकर पिछले साल मरीजों का डेटा तैयार किया गया. विभाग के एडिशनल प्रो डॉ आशीष कुमार झा की देखरेख में बिहार के अलग-अलग जिलों से आने वाले कुल 2900 मरीजों को शामिल किया गया था. इनमें हर 100 में चार मरीज हेपेटाइटिस बी व एक मरीज हेपेटाइटिस सी का मिला था. डॉ आशीष झा ने बताया कि इस रिसर्च को दिल्ली एम्स के ट्रॉपिकल गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी पुस्तक में प्रकाशित करने के लिए भेजा गया, जिसके बाद दिल्ली एम्स ने इसे प्रकाशित भी किया.

इस तरह से बढ़ते गये हेपेटाइटिस के मरीज

वर्ष-कुल मरीज-आइजीआइएमएस-पीएमसीएच

  • 2020- 5617-3418-2199

  • 2021- 6708-4136-2572

  • 2022 – 8365-5647-2718

  • 2023- 4506-2747-1759

हेपेटाइटिस बी में किन मरीजों की संख्या अधिक, कहां तक पहुंची बीमारी

  • – कुल मरीजों में ग्रामीण में 70 व शहर में 30 प्रतिशत

  • – पुरुष 67 प्रतिशत व महिला 33 प्रतिशत

  • – 74 प्रतिशत क्रॉनिक मरीज

  • – 14 प्रतिशत में वायरस एक्टिव

  • – 10 प्रतिशत में एक्यूट वायरस

  • – 14 प्रतिशत में 2.85 प्रतिशत ने बीच में छोड़ा उपचार

  • – आधे से अधिक मरीजों में लिवर सिरोसिस और 10 में कैंसर मिला

नोट: 2022 में आइजीआइएमएस में आने वाले कुल हेपेटाइटिस मरीजों में यह आंकड़े निकल कर आये सामने.

ये हैं बीमारी के लक्षण

  • – बहुत अधिक थकान महसूस होना

  • – खाना खाने की इच्छा न होना, उल्टी आना

  • – पेट में दर्द होना, मल का रंग गहरा होना

  • – मूत्र का रंग गहरा पीला दिखना

  • – आंखों और त्वचा का पीला होना

बचाव के लिए रखें ध्यान

  • – हेपेटाइटिस-ए व बी के लिए वैक्सीन केवल बच्चे ही नहीं बड़े भी ले सकते हैं.

  • – अगर परिवार में कभी किसी को हेपेटाइटिस-बी व सी हुआ है, तो घर के सभी सदस्यों को जांच करा लेनी चाहिए.

  • – लिवर की जांच कराने पर उसमें लिवर एंजाइम बढ़ा हुआ नजर आता है, तो हो सकता है यह हेपेटाइटिस का प्रारंभिक लक्षण हो. ऐसे में आगे की जांच कराएं

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टैटू बनवाने से बढ़ रहा खतरा

टैटू बनाते समय सुई को काफी गहराई तक चुभाया जाता है. इससे यह टैटू बनवाने वाले व्‍यक्ति के खून के संपर्क में आती है. यदि यह सूईं संक्रमित है, यानी इससे पहले हेपेटाइटिस से पीड़ित व्‍यक्ति के शरीर पर इसी सूईं से टैटू बनाया गया है, जो यह संक्रमण का माध्‍यम बनती है. संक्रमित व्‍यक्ति का खून टैटू बनवाने वाले व्यक्ति के खून के संपर्क में आने पर बहुत जल्‍दी रिएक्‍ट करता है और एचसीवी को फैलने में मदद करता है. यदि लिवर पहले से ही कमजोर है तो यह और भी तेजी से फैलता है, जिससे जान जाने का भी जोखिम हो सकता है. टैटू बनाने वाली यह सूईं मांसपेशियों को भी काफी नुकसान पहुंचाती है. विशेषज्ञों के अनुसार तिल वाली त्वचा पर कभी भी टैटू नहीं बनवाना चाहिए. कई युवा शरीर के हिस्सों पर टैटू तो बनवा लेते हैं और फिर उससे होने वाली तकलीफों से परेशान रहते हैं. बिहार में खासकर ग्रामीण इलाकों में हेपेटाइटिस बी के अधिकतर मामले टैटू के कारण ही सामने आ रहे हैं.

धीमा जहर है हेपेटाइटिस

डॉक्टरों का कहना है कि हेपेटाइटिस एक धीमा जहर है. इस बीमारी के 95 प्रतिशत मरीजों को अंतिम स्टेज में जाकर बीमारी का पता चलता है. वैसे इसकी रोकथाम के विश्व स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन इस पर लगाम नहीं लग पा रही है. इसकी कई टाइप्स हैं इनमें हेपेटाइटिस बी सबसे खतरनाक है. डॉक्टरों के मुताबिक हेपेटाइटिस बी का कहर बिहार में सबसे ज्यादा है. यह बीमारी संक्रमित खाने व दूषित पानी से फैलता है. हालांकि इसके वैक्सीन की खोज 1982 में ही कर ली गई थी. फिर भी जागरूकता व लोगों की लापरवाही बरते जाने से हर साल हजारों लोगों की जान जा रही है. डॉक्टरों के मुताबिक सरकारी हॉस्पिटल में इसकी दवा मुफ्त उपलब्ध है. स्वास्थ्य विभाग ने नवजात बच्चों को यह वैक्सीन लगवाना अनिवार्य किया हुआ है, लेकिन अधिकतर लोग अपने बच्चों को इसे लगवाना जरूरी नहीं समझते.

सबसे खतरनाक हेपेटाइटिस सी

हेपेटाइटिस सी अभी भी लोगों के लिए खतरा बनी हुई है. डॉक्टरों का मानना है कि अभी तक न तो इसकी कोई दवा उपलब्ध है और न कोई वैक्सीन. खतरे के लिहाज से हेपेटाइटिस वर्ग की तीसरी सबसे जानलेवा बीमारी है. दुनिया भर में इससे करीब 15 करोड़ लोग संक्रमित हैं. डॉ झा ने बताया कि हेपोटाइटिस को लेकर स्वास्थ्य विभाग समय- समय पर अभियान चलाता है. इस दौरान लोगों को संक्रमित रक्त, पानी व खाने आदि से दूर रहने के साथ ही इसके बचाव आदि की जानकारी दी जाती है. इस बीमारी से लड़ने में पेंटावैलेंट वैक्सीन बेहद फायदेमंद है.

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