बिहार: अपहरण के 1 साल बाद MBA की छात्रा को ढूंढ रही CID, हाईकोर्ट की फटकार, इनाम बढ़ाकर 3 लाख किया..
बिहार के मुजफ्फरपुर में एमबीए की छात्रा यशी सिंह अपहरण मामला एक साल के बाद भी अभी गरमाया हुआ है. पटना हाईकोर्ट से मिली फटकार के बाद पुलिस ने अब इनाम की राशि को 50 हजार से बढ़ाकर 3 लाख तक कर दिया है. जानिए पूरा मामला..
Bihar Kidnapping News: मुजफ्फरपुर सदर थाना क्षेत्र के भगवानपुर से अपहृत एमबीए की छात्रा यशी सिंह की बरामदगी में सहयोग करने वाले को अब तीन लाख रुपये का इनाम दिया जायेगा. जिला पुलिस ने इनाम की राशि 50 हजार से बढ़ाकर तीन लाख रुपये कर दी है. यशी सिंह की बरामदगी में सहयोग करने वाले या उसकी सूचना देने वाले को अपर पुलिस महानिदेशक की ओर से यह इनाम की राशि दी जायेगी. सीआइडी को केस का चार्ज सौंपने के बाद भी जिला पुलिस की टीम छात्रा की बरामदगी को लेकर लगातार शहर से गांव तक माइकिंग करा रही है. जगह- जगह उसका पोस्टर लगाया गया है. इसपर यशी सिंह के फोटो के साथ- साथ पहचान चिन्ह के रूप में दाहिने पैर पर कटने का निशान व बड़े फ्रेम का चश्मा लगाने की बात दर्शायी गयी है. एमबीए की छात्रा 23 वर्षीय यशी सिंह हिंदी व अंग्रेजी जानती है. वह जिस दिन गायब हुई थी, उस वक्त नीला समीज, काला सलवार व काला दुपट्टा रखी हुई थी. यशी सिंह अपहरण केस की पूरी मॉनिटरिंग हाइकोर्ट कर रही है. सीआइडी व जिला पुलिस की कार्रवाई का हर सुनवाई में फीडबैक लिया जा रहा है. पिछले दो सुनवाई में हाइकोर्ट ने जिला पुलिस की कार्यशैली पर कड़ी टिप्पणी की है. हाइकोर्ट ने कहा है कि अगर पुलिस संवेदनशील रहती तो एक साल तक यशी गायब नहीं रहती.
पिछले साल गायब हुई छात्रा, जानिए दो महिलाओं की भूमिका..
जानकारी को कि सदर थाना क्षेत्र के भगवानपुर से 12 दिसंबर 2022 को एमबीए की छात्रा यशी सिंह गायब हो गयी थी. मामले में उसके नाना राम प्रसाद राय के बयान पर अपहरण की धारा में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. प्राथमिकी दर्ज होने के एक साल बाद भी पुलिस यशी सिंह को नहीं खोज पायी. यशी सिंह के सोशल मीडिया अकाउंट एक्टिव करके हैंडल करने के मामले में पुलिस ने दो महिलाओं को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. इसके अलावा एक संदिग्ध को थाने पर लाकर पूछताछ की थी. इसके बाद भी यशी का कुछ सुराग नहीं मिला तो उसके परिजनों ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस बीच जिला पुलिस से यह केस को सीआइडी को ट्रांसफर कर दिया गया. पहले जिला पुलिस की ओर से यशी सिंह की बरामदगी में सहयोग करने वाले या इसकी सूचना देने वाले के लिए 50 हजार इनाम घोषित किया था. लेकिन, अब उसको बढ़ाकर तीन लाख रुपये कर दिया गया है. इधर, सीआइडी इस कांड में पूर्व में जेल भेजी गयी दोनों महिलाओं को थाने पर बुलाकर पूछताछ कर चुकी है. वहीं, सेंट्रल जेल में बंद सोनू से भी जेल में जाकर पूछताछ करने के लिए केस के आइओ सह सीआइडी के डीएसपी रामदुलार सिंह ने कोर्ट में अर्जी दाखिल की है.
जेल में बंद सोनू उगलेगा अपहरण का राज?
अपहृत एमबीए छात्रा मामले में शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा मुजफ्फरपुर में बंद सोनू से सीआइडी पूछताछ करेगी. सीआइडी की ओर से सीजेएम कोर्ट में अर्जी दी गई है. इसमें सोनू से जेल में जाकर पूछताछ करने की अनुमति मांगी. कोर्ट ने अर्जी पर सुनवाई की. सुनवाई के बाद सीआईडी को जेल में जाकर पूछताछ करने की अनुमति दे दी है. बताया गया है कि सोनू वैशाली जिले के बेलसर ओपी क्षेत्र का रहने वाला है. वहां की पुलिस ने सोनू को एससी-एसटी और मर्डर केस में गिरफ्तार कर जेल भेजा था. सोनू हाजीपुर जेल में बंद था. उसे छह नवंबर को मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल में लाया गया था. संभावना है कि सीआईडी सेंट्रल जेल में पहुंच कर उससे पूछताछ कर सकती है. इससे पूर्व सीआइडी ने केस की आरोपित अर्चना, ज्योति और सोनू के मोबाइल को जांच कराने की अनुमति मांगी थी. सीजेएम ने तीनों के मोबाइल की जांच करने का आदेश दे दिया था. पूर्व में इस केस की जांच पुलिस कर रही थी. अब सीआईडी इस केस की जांच कर रही है.
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यह है मामला..
शेखपुरा जिले की छात्रा सदर थाना क्षेत्र में अपने नाना के घर रहकर इलाके के एक मैनेजमेंट कॉलेज में पढ़ रही थी. 12 दिसंबर 2022 को वह कॉलेज के लिए घर से निकली. उसका भगवानपुर से अपहरण कर लिया गया. जब शाम तक वह घर नहीं लौटी तो उसके नाना ने सदर थाने में उसके अपहरण की एफआईआर के लिए आवेदन सौंपा. जांच में पता चला कि सोनू कुमार ने दो महिलाओं के साथ मिलकर भगवानपुर चौक से नशे का इंजेक्शन देकर अपहरण कर लिया है और लड़की को चतुर्भुज स्थान में बेच दिया है.
पटना हाइकोर्ट ने लगायी फटकार
बता दें कि इस मामले में पटना हाइकोर्ट ने राज्य की पुलिस की कार्यकलापों की तीखी आलोचना की है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस संवेदनशील नहीं है. यदि वह संवेदनशील होती, तो पिछले एक साल से अपहृत एमबीए के छात्रा को खोज निकालती. कोर्ट ने कहा कि जब हाइकोर्ट इस केस को सीबीआइ को सौंपने जा रहा था, तो राज्य सरकार ने इसे आनन-फानन में सीआइडी को सौंप दिया.