Year Ender 2022: बिहार में सियासी उलटफेर और 5 तूफानी घटनाओं का साल, दिल्ली तक गयी गूंज

Year Ender 2022: कुछ दिनों के बाद ही नये साल का आगमन हो जाएगा और अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से यह साल 2022 समाप्त हो जाएगा. इस साल बिहार की सियासत में कुछ ऐसी घटनाएं घटीं जिसे सदैव याद रखा जाएगा. जानिये क्या है...

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 28, 2022 9:27 PM

Year Ender 2022: नया साल 2023 सामने है और 2022 की कई ऐसी घटनाएं हैं जो इस साल के कैलेंडर को याद दिलाता रहेगा. सियासी घटनाक्रमों में कुछ ऐसा ही रहा अगस्त का महीना जब जदयू ने फिर एकबार एनडीए का साथ छोड़ दिया और महागठबंधन का दामन थाम लिया. विधानसभा में बड़ा फेरबदल हुआ और भाजपा सत्ता से विपक्ष में आ गयी. वहीं राजद, कांग्रेस व अन्य दलों के साथ महागठबंधन सत्ताधारी खेमे का हिस्सा बन गयी. नीतीश कुमार ने महागठबंधन की ओर से बिहार के मुख्यमंत्री की शपथ ली. तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बने.

जदयू महागठबंधन में, डिप्टी सीएम बने तेजस्वी

वर्ष 2022 में बिहार की सियासत के लिए ये सबसे बड़ा घटनाक्रम थे जिसने पूरे देश की राजनीति को प्रभावित किया. भाजपा अब विपक्ष में आ गयी. वहीं जदयू का साथ छूटते ही भाजपा जदयू पर हमलावर हो गयी. बीजेपी ने इस फैसले को जनादेश के साथ धोखा बताया. हर जगह धरना प्रदर्शन किये गये. वहीं दूसरी तरफ राजद की ओर से तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बने.राजद व महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के कई नेताओं को मंत्री बनाया गया.

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सहनी को भाजपा का झटका, सभी विधायकों को किया अपने खेमे में

साल 2022 को एक और सियासी घटना के लिए याद रखा जाएगा जब एक ही गठबंधन में रहते हुए एनडीए में भाजपा ने मुकेश सहनी की पार्टी VIP के सभी विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया था. बीजेपी की ओर से ये इस साल की सबसे चौंकाने वाली सियासी सर्जरी थी. मुकेश सहनी राज्य सरकार के मंत्री थे और अपनी ही पार्टी में वो अलग-थलग पड़ चुके थे. उनके तीनों विधायकों ने उनका साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया. मार्च महीने की इस घटना ने सहनी को बड़ा झटका दिया था. वहीं बाद में मुकेश सहनी को मंत्री पद से भी हटा दिया गया था. इस तरह भाजपा उस दौरान विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गयी थी.

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जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह भी इस साल बेहद सुर्खियों में रहे. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर रहते हुए आरसीपी सिंह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के कैबिनेट में मंत्री बने. जिसके बाद जदयू में अंर्तकलह शुरू हो गया. पहली बार मंत्री बनकर पटना आए तो पोस्टर वॉर शुरू हुआ. वहीं धीरे-धीरे आगे चलकर पार्टी में उनका दबदबा कमजोर होता गया और जेडीयू ने आगे चलकर उनके राज्यसभा कार्यकाल को आगे नहीं बढ़ाया. आरसीपी सिंह को मंत्री पद छोड़ना पड़ा. वहीं आगे बयानबाजी का दौर दोनों ओर से शुरू हुआ और आरसीपी सिंह ने जदयू छोड़ दिया.

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बिहार में तीन उपचुनाव: भाजपा के लिए ताकत परीक्षण, महागठबंधन का लिटमस टेस्ट

जदयू और भाजपा जब एक दूसरे से अलग हुए तो सामने तीन उपचुनाव थे. चुनाव आयोग की ओर से उपचुनाव की घोषणा की गयी. अब जदयू राजद व कांग्रेस के साथ महागठबंधन का हिस्सा थी. जबकि भाजपा अपने उम्मीदवारों के साथ मैदान में उतरी. मोकामा में राजद उम्मीदवार की जीत हुई जबकि गोपालगंज में भाजपा ने राजद को पराजित किया. वहीं कुढ़नी में भाजपा और जदयू के बीच टक्कर हुई तो कड़े मुकाबले में भाजपा ने जदयू को हरा दिया. इस तरह ये उपचुनावों का दौर दोनों गठबंधन के लिए नये समीकरण के साथ एक प्रयोग के तौर पर था.

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चिराग पासवान को भाजपा ने खुलकर अपने साथ लिया.

बिहार में जदयू और भाजपा की राहें अलग हुई तो उपचुनाव में बीजेपी ने चिराग पासवान को खुलकर अपने साथ कर लिया. कुढ़नी, मोकामा और गोपालगंज उपचुनाव में चिराग पासवान भाजपा प्रत्याशी के लिए प्रचार करने मैदान में उतरे. इससे पहले जदयू जब बीजेपी से अलग हुई तो उसने आरोप लगाया था कि भाजपा ने ही विधानसभा चुनाव 2020 में चिराग पासवान को जदयू का विरोध करने उतारा था.

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