शराब जोखिम से बचने के लिए अफीम-स्मैक बना बिहार के युवाओं की पहली पसंद, अंधकारमय हो रहा भविष्य
बिहार में लागू शराबबंदी के बाद से सूबे के सीमावर्ती इलाके के युवा इसके विकल्प के रूप में अन्य चीजों का प्रयाेग कर रहे हैं. युवा इसके सेवन का नया-नया तरीका इजाद कर रहे हैं. नशे की लत के शिकार युवाओं में सबसे ज्यादा लोकप्रिय आसान तरीके व कम खर्च में उपलब्ध सनफिक्स है.
अररिया (संजय प्रताप सिंह, सिकटी): बिहार में जारी शराबबंदी के बाद से सीमावर्ती क्षेत्र में युवा इसके विकल्प के रूप में अन्य चीजों का प्रयाेग कर रहे हैं. युवा इसके सेवन का नया-नया तरीका इजाद कर रहे हैं. नशे की लत के शिकार युवाओं में सबसे ज्यादा लोकप्रिय आसान तरीके व कम खर्च में उपलब्ध सनफिक्स है. वहीं नींद व नशे की गोली, कोडीन युक्त कफ सिरप, स्मैक, अफीम, गांजे जैसी मादक पदार्थों के उपयोग में भी पीछे नहीं हैं. सीमावर्ती क्षेत्र में युवा लगातार इसकी चपेट में आ रहे हैं.
शराब में जोखिम अधिक, नशीले दवाओं की बढ़ी मांग
चिकित्सकों की मानें तो 12 से 18 आयुवर्ग के युवा शराब में जोखिम अधिक होने के कारण मादक पदार्थों के सेवन के प्रति ज्यादा आकर्षित हैं. वहीं गांजा, चरस, स्मैक व अफीम की कीमत अधिक होने के कारण कम खर्च में उपलब्ध सनफिक्स व सुलेशन के प्रति आकर्षक बढ़ता जा रहा है.
नशा का प्रयोग युवाओं के लिए खतरनाक
प्रतिबंधित दवाओं, मादक पदार्थ व सनफिक्स के सेवन से फेफड़ा पर काफी बुरा असर पड़ता है, युवाओं के लिए इसका सेवन आत्मघाती है. इसके सेवन से मनुष्य के स्नायुतंत्र बुरी तरह प्रभावित हो जाते हैं. इसको लगातार सूंघने के कारण इसमें मौजूद खतरनाक रासायनिक पदार्थ फेफड़े पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है- डॉ अजमत राणा, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सिकटी.
ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ी चोरी की घटनाएं
ग्रामीण क्षेत्रों में चौक-चौराहे पर छोटी-छोटी दुकानों में सनफिक्स की उपलब्धता है. इसकी बिक्री पर सरकार द्वारा किसी तरह का प्रतिबंध भी नहीं है. कम कीमत में उपलब्ध होने के कारण युवा व मासूम तेजी से इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं. नशे की तलब पूरी करने के लिए युवा चोरी की घटनाओं को अंजाम देने से भी गुरेज नहीं करते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार के मामले लगातार सामने आ रहे हैं.