पटना. तमिलनाडु में प्रवासी बिहारियों के साथ कथित हिंसा के फर्जी वीडियो फैलाने के आरोपित यूट्यूबर मनीष कश्यप उर्फ त्रिपुरारि कुमार तिवारी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है. आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) की विशेष टीम ने पूछताछ के बाद रविवार की शाम उसे विशेष न्यायालय के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जेल भेजने का आदेश दिया गया. अब इओयू सोमवार को पुन: न्यायालय में मनीष कश्यप की रिमांड के लिए अर्जी देगा.
इससे पहले मनीष कश्यप को हिरासत में रख कर की गयी पूछताछ में बिहार पुलिस को कई अहम जानकारियां मिली है. पता चला है कि मनीष के पीछे एक नेटवर्क काम कर रहा था, जो उसकी हर तरीके से मदद कर रहा था. बिहार पुलिस अब उस नेटवर्क को खंगालेगी. इओयू को आशंका है कि भ्रामक, अफवाहजनक और भड़काने वाले वीडियो, फोटो और मैसेज जान-बूझकर एक षडयंत्र के तहत वायरल कराये गये, ताकि आम जनता के बीच उत्तेजना, दुर्भावना और भय के वातावरण कायम हो. इस लाइन पर हुई पूछताछ में कई लोगों के नाम सामने आये हैं, जिनका खुलासा नहीं किया गया है. सूत्रों के मुताबिक इन लोगों के द्वारा मनीष कश्यप को आर्थिक मदद भी पहुंचायी जा रही थी. अब इओयू की विशेष टीम इन लोगों से संपर्क कर पूछताछ कर सकती है.
इओयू की एक टीम ने मनीष कश्यप के यू-ट्यूब चैनल सचतक के बोरिंग रोड दादीजी लेन स्थित कार्यालय में भी जांच की. इस दौरान ऑफिस में रखे गये कंप्यूटर सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को खंगाला गया. सूत्रों के मुताबिक कई डिजिटल साक्ष्यों को जब्त भी किया गया है. डिजिटल साक्ष्यों की जांच के दौरान पाया कि मामले से जुड़े कई और वीडियो भी अपलोड कर शेयर किये गये. हालांकि उसका खुलासा नहीं किया गया है.
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बिहार पुलिस की इओयू के साथ ही तमिलनाडु पुलिस भी मनीष कश्यप को रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है. तमिलनाडु में भी मनीष कश्यप के ऊपर दो एफआइआर दर्ज हैं, जिनमें पूछताछ के लिए उसे रिमांड पर लेकर जा सकती है.