अनुपम कुमार, पटना. कोरोना से पहले पीटीजेड कैमरे से मॉनीटरिंग कर ट्रैफिक नियमों को तोड़ने वालों पर जुर्माना किया जा रहा था. इसके तहत 14 लाख के चालान कटे, लेकिन वसूली महज दो लाख की ही हो पायी और 12 लाख के चालान पेंडिंग रह गये. अब जब ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते पकड़े जाने वाले लोग डीटीओ कार्यालय में अपना वाहन दस्तावेज अपडेट करवाने पहुंच रहे हैं, तो उनसे जेब्रा जंप और रेड लाइट वॉयलेशन के लिए जुर्माना वसूला जा रहा है. इससे कई लोग आक्रोशित भी हो रहे हैं.
ट्रैफिक नियम का उल्लंघन करने वाले वाहन चालक द्वारा नियम तोड़ते समय का फोटो खींचकर उसके साथ इ- चालान को वाहन चालक के रजिस्टर्ड नंबर पर भेजने का प्रावधान था. हालांकि इसमें कई परेशानियां भी आती रहीं. कई लोगों ने वाहन रजिस्ट्रेशन के समय मोबाइल नंबर दिये ही नहीं थे. कई ने जो मोबाइल नंबर अपने वाहन को रजिस्टर्ड करवाते समय दिया था, वह बंद हो चुका था. बदले में वाहन स्वामी ने कोई नया नंबर ले लिया था, लेकिन अपने वाहन के आरसी के साथ रजिस्टर्ड नंबर को अपडेट नहीं करवाया था. इसके कारण ऐसे लोगों के इ-चालान कटे, लेकिन उन्हें वाहन स्वामियों तक को भेजा नहीं जा सका.
कई लोगों ने इ-चालान मिलने के बाद भी जुर्माना जमा नहीं किया. इसके कारण ट्रैफिक पुलिस के कंट्रोल एंड कमांड सेंटर द्वारा काटे गये 14 लाख रुपये के चालानों में से 12 लाख रुपये जमा नहीं किये गये. थोड़ेदिनों बाद रखरखाव नहीं होने से ट्रैफिक पुलिस के 40 में से अधिकतर पीटीजेड कैमरे खराब हो गये या निर्माण कार्य में केबल कटने से कमांड सेंटर से उनका संपर्क खत्म हो गया. इससे ट्रैफिक पुलिस ने ऑनस्क्रीन मॉनीटरिंग द्वारा इ-चालान काटना बंद कर दिया. साथ ही पेंडिंग चालान की राशि को वसूलने के लिए डीटीओ कार्यालय को भेज दिया.
कई लोगों को तो याद भी नहीं कि उन्होंने ट्रैफिक नियम का उल्लंघन किया था. लेकिन, फोटो देखने के बाद उन्हें गलती स्वीकार करनी पड़ रही है. कुछ लोग तो यह कह कर भी विरोध करते दिखे हैं कि हर दिन लोग नियम तोड़ रहे हैं. लेकिन, उन पर कार्रवाई नहीं होती. उन्हें तीन या चार वर्ष पहले के जेब्रा जंप या रेड लाइट वॉयलेशन के लिए जुर्माना देना पड़ रहा है.
इस तरह की सख्त जुर्माना वसूली के बावजूद अब तक 12 लाख के पेडिंग चालान में से एक लाख की भी वसूली नहीं हो सकी है और 11 लाख से अधिक के चालान अब भी पेंडिंग हैं. इसकी बड़ी वजह कागजात अपडेट करवाने आने वाले लाेगों की संख्या कम होना है.