पटना : बिहार पुलिस राज्य में जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत अपने भ्रष्ट और ड्यूटी में कोताही करने वाले किसी भी रैंक के कर्मी पर भी सख्त कार्रवाई करने के मूड में है. इसी के तहत इस वर्ष नवंबर तक यानी 11 महीने में 644 पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की गयी है.
इन पर अनुशासनिक कार्रवाई करने की मुख्य वजह बालू समेत अन्य खनिज के अवैध खनन एवं परिवहन में संलिप्तता, मद्य निषेध कानून के पालन में कोताही, भूमि संबंधित मामलों में लापरवाही या पक्षपात करना, कर्तव्यहीनता और अन्य किसी तरह के भ्रष्टाचार से जुड़े मामले शामिल हैं.
पुलिस मुख्यालय ने इस जानकारी को जारी करते हुए सख्त लहजे में कहा है कि अगर किसी रैंक का कोई भी पुलिस पदाधिकारी किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधि में शामिल पाया गया, तो उस सख्त कार्रवाई की जायेगी. इसमें किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी.
पुलिस मुख्यालय ने बताया कि 38 ऐसे पुलिस अधिकारी हैं, जिनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई चल रही है. इनमें डीएसपी से लेकर ऊपर तक के अधिकारी शामिल हैं. इनमें दो आइपीएस अधिकारी भी शामिल हैं, जिन्हें अलग-अलग मामलों में विभागीय सजा दी गयी है, जबकि चार पदाधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई चल रही है.
इसके अलावा बिहार पुलिस सेवा के सात पदाधिकारियों को सजा दी जा चुकी है, जबकि 25 पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई चल रही है. जिन पदाधिकारियों पर विभागीय जांच चल रही है, वह पूरी होने के बाद इन पर उचित कार्रवाई की जायेगी.
जिन पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई चल रही है, उनकी संख्या 606 है. इनमें सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक के कर्मी शामिल हैं. इनमें 85 कर्मियों को सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है. वहीं, 55 पर वृहद और चार को लघु दंड दिये गये हैं.
इसके अलावा बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों पर मामला अभी विचाराधीन है, जिनकी जांच चल रही है. जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी. हाल के कुछ महीनों में पुलिस मुख्यालय ने 48 ऐसे मामलों की फिर से जांच की है, जिनमें दोषी कर्मियों को कम सजा मिली थी.
इनकी सजा की फिर से समीक्षा करने के बाद सख्त सजा दी गयी है. इसमें 23 को सेवा से बर्खास्त तथा पांच को सेवानिवृत्त पदाधिकारियों के पेंशन में कटौती की गयी है. फिर से समीक्षा होने वाले मामलों में 2016 में गोपालगंज का बहुचर्चित अवैध शराब कांड भी शामिल है.
Posted by Ashish Jha