रांची : झारखंड में संचालित सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) की हजारों एकड़ जमीन पर वर्षों से अतिक्रमण हो रहा है. कुछ जमीन तो मुआवजा दिये जाने के बाद भी विस्थापित खाली नहीं कर रहे हैं. कई बार अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलाये जाते हैं, लेकिन जमीन कब्जे से मुक्त नहीं हो पाती है. राज्य सरकार ने पीएसयू से उनकी जमीन का लगान मांगा है. इसके बाद कोल इंडिया ने सभी कंपनियों को जमीन चिह्नित करने का आदेश दिया है. कोयला मंत्रालय ने सभी कोल कंपनियों को पत्र लिखकर कंपनी द्वारा अधिग्रहित की गयी जमीन का म्युटेशन कराने का भी निर्देश दिया है. कहा है कि म्युटेशन नहीं होने से जमीन के मालिकाना हक को लेकर राज्य सरकार और निजी रैयतों के साथ अक्सर विवाद होता रहता है. इसलिए सभी कंपनियों को जमीन चिह्नित कर म्युटेशन करना है.
एचइसी की 73.05 एकड़ जमीन पर कब्जा
एचइसी की 73.05 एकड़ जमीन पर कब्जा है. एचइसी ने जमीन की लीज दर 12 करोड़ रुपये प्रति एकड़ निर्धारित की है. इस हिसाब से कब्जा की गयी जमीन की कीमत 876 करोड़ रुपये है. हकीकत इससे दोगुना से अधिक है. प्रबंधन द्वारा जमीन पर अवैध निर्माण का जो आंकड़ा जारी किया गया है, वह वित्तीय वर्ष 2021-21 और वित्तीय वर्ष 2022-23 में एक ही है. अवैध निर्माण रोकने और हटाने का जिम्मा जिन सुरक्षाकर्मियों पर है, वे पिछले 84 दिनों से आंदोलरत हैं. आवासीय परिसर में दुकान, मकान, गैरेज का निर्माण धड़ल्ले से जारी है. प्रबंधन के पास शिकायत मिलने के बाद भी अवैध निर्माण करनेवालों पर कार्रवाई नहीं हो रही है.
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एचइसी के पास नहीं है अवैध निर्माण हटाने का संसाधन
एचइसी की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण प्रबंधन के पास अवैध निर्माण हटाने का संसाधन भी नहीं है. आवासीय परिसर में गश्त लगाने के लिए वाहन तो है, लेकिन उसमें डीजल भराने के लिए पैसे नहीं है. इस कारण सुरक्षाकर्मी पेट्रोलिंग नहीं कर पाते थे. एचइसी आवासीय परिसर में लगातार अवैध निर्माण होने से कई कॉलोनियां भी बस गयी हैं. दूसरी ओर, एचइसी की जमीन की अवैध खरीद-बिक्री भी जारी है. इसकी शिकायत एचइसी प्रबंधन की ओर से संबंधित थाने और पुलिस से की गयी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. इससे जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक नहीं लग रही है. वहीं, एचइसी की जमीन पर कब्जा होने के कारण राजस्व का भी नुकसान हो रहा है.
सीसीएल की करीब 1700 एकड़ जमीन पर कब्जा
सीसीएल की करीब 1700 एकड़ जमीन पर कब्जा है. कई इलाकों में तो विस्थापितों ने पैसे लेने के बाद भी कंपनी को जमीन नहीं दी है. इसको लेकर सीसीएल प्रबंधन और ग्रामीणों के बीच हमेशा संघर्ष होता रहा है. इसके अतिरिक्त कंपनी द्वारा अधिग्रहित खनन एरिया के बाहर की जमीन पर लोगों ने कब्जा कर लिया है. कई एरिया में तो कब्जा कर बाजार बना दिया गया है. सीसीएल ने करीब 18 लाख एकड़ भूमि अधिग्रहण किया है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि करीब एक फीसदी जमीन कब्जा में है. कई जमीन का कंपनी ने अधिग्रहण कर लिया है, लेकिन खनन कार्य नहीं हो रहा है. वहां भी लोग वर्षों से बसे हुए हैं.
सीसीएल के हर एरिया में है कब्जा
सीसीएल के मुख्यालय सहित हर एरिया में जमीन पर कब्जा है. सीसीएल के कमड़े में पड़ने वाली करीब 15 एकड़ जमीन भी ग्रामीणों के कब्जे में है. गांधीनगर कॉलोनी के आसपास की जमीन पर भी लोगों को कब्जा है. यहां कई तरह का निर्माण कार्य भी करा लिये गये हैं. कुछ जमीन पर लोगों ने रास्ता बना लिया है.
बीएसएल की 1800 एकड़ जमीन पर है कब्जा
बोकारो स्टील प्लांट द्वारा वर्ष 2020-21 में कराये गये ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया था कि 1932 एकड़ जमीन अतिक्रमणकारियों के हाथ में चली गयी. इसमें कुछ अभी मुक्त कराया गया है. साल 2018-19 की अवधि में कंपनी की 4475.75 एकड़ जमीन पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा था, जो साल 2019-20 में 67.19 एकड़ बढ़कर 4552.94 एकड़ हो गया. बाद में इसको अतिक्रमण मुक्त कराया गया है. पिछले कुछ माह से जमीन पर कब्जा व अवैध निर्माण को लेकर बीएसएल प्रबंधन एक्शन मोड में है. झारखंड हाइकोर्ट ने वर्ष 2011 में आधा दर्जन जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए बोकारो इस्पात व जिला प्रशासन को अतिक्रमण मुक्त कराने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि यदि न्यायालय का आदेश नहीं माना जाता है, तो यह कोर्ट की अवमानना होगी, लेकिन प्रशासन व प्रबंधन के संयुक्त प्रयास के बाद आज भी बीएसएल की लगभग 1800 एकड़ जमीन पर कब्जा है.
इन स्थानों पर है कब्जा
बोकारो के 10 सेक्टरों सहित लकड़ी गोला, सोनाटाड़ रानीपोखर, बैधमारा, नरकरा, बनसिमली, डुमरो, करहरिया, पिपराटांड़ के अलावा रामडीह मोड़, सेक्टर-9 में रोड के दोनों ओर, बसंती मोड़ से चंदपुरा रोड आदि.