Calcutta High Court : कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश पार्थ सारथी चटर्जी की सिंगल जज बेंच ने अनिमेष सिंह महापात्रा एवं अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एवं अन्य के मामले में रिट याचिका पर निर्णय लेते हुए कहा कि एक बार चयन प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान आवश्यक योग्यता में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता. विशेष रूप से जब तक कि विज्ञापन में नियुक्ति को नियंत्रित करने वाले किसी नियम के तहत ऐसी शक्ति आरक्षित न हो.
क्या है मामला
पश्चिम बंगाल में सहायक शिक्षकों के विभिन्न पदों को भरने के लिए पश्चिम बंगाल केंद्रीय विद्यालय सेवा आयोग द्वारा 12वीं क्षेत्रीय स्तरीय चयन परीक्षा (आरएलएसटी) के तहत चयन प्रक्रिया शुरू की गयी थी और इसके लिए इच्छुक उम्मीदवारों को आमंत्रित करने के लिए 29.12.2011 को विज्ञापन जारी किया गया.हालांकि बाद में यह बात सामने आयी कि आयोग की दिनांक 06 जून 2013 की 450वीं बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया, जिसके अनुसार डीएलएड या प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान (पीटीटीआइ) से डिग्री और एक वर्षीय ब्रिज कोर्स के सर्टिफिकेट रखने वाले व्यक्ति के अंकों में कोई शैक्षणिक स्कोर नहीं जोड़ा गया.
याचिकाकर्ताओं को प्रशिक्षण योग्यता के विरुद्ध अंक नहीं दिये गये
उक्त प्रस्ताव के कारण याचिकाकर्ताओं को उनकी प्रशिक्षण योग्यता के विरुद्ध कोई अंक नहीं दिये गये. इसे लेकर हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी. याचिकाकर्ताओं द्वारा यह तर्क दिया गया कि दिनांक 23.12.2011 के विज्ञापन के अनुसार पास श्रेणी और ऑनर्स रिक्ति दोनों के लिए प्रशिक्षण योग्यताएं समान थीं. मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि आमतौर पर किसी विशेष पद के संबंध में योग्यता से संबंधित राज्य/नियोक्ता द्वारा लिये गये नीतिगत निर्णय उस पद के संबंध में जारी विज्ञापनों में परिलक्षित होते हैं.
नियुक्ति के दौरान आवश्यक योग्यता में बदलाव संभव नहीं
न्यायालय ने आगे कहा कि यह कानून का स्थापित प्रस्ताव है कि जब विज्ञापन में स्पष्ट रूप से कहा गया कि चयन कुछ नियमों के अनुसार किया जाएगा तो चयन उन नियमों के साथ सख्ती से अनुपालन में किया जाना चाहिए. न्यायालय ने आगे कहा कि एक बार विज्ञापन जारी करके भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद नियुक्ति के दौरान आवश्यक योग्यता में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता, जब तक कि विज्ञापन में या भर्ती को नियंत्रित करने वाले किसी अन्य नियम में ऐसी शक्ति आरक्षित न हो. उपर्युक्त टिप्पणियों के साथ अदालत ने रिट याचिका का निपटारा कर दिया.