विधायक चेतन आनंद ने बताई राजद में टूट की वजह, कहा- अभी और गिरेंगे विकेट

बिहार विधानसभा के बाहर राजद से पाला बदलकर सत्ता दल में पहुंचे विधायक चेतन आनंद ने कहा है कि तीन लोगों की वजह से राजद में टूट हो रही है. जिसमें मनोज झा, संजय यादव और प्रीतम शामिल है

By Anand Shekhar | March 2, 2024 10:01 AM
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बिहार में लोकसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में टूट का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा. राज्य में एनडीए की ने सरकार बनने के बाद से अब तक सात विधायक पाला बदल कर सत्ता पक्ष की तरफ आ चुके हैं. शुक्रवार को भी एक राजद विधायक ने पाला बदल कर एनडीए का दामन थाम लिया है. अब इस मामले को लेकर राजद से बागी हुए विधायक चेतन आनंद ने विधानसभा के बाहर तेजस्वी यादव की पार्टी पर तगड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि पार्टी के अंदर विधायकों को कोई नहीं पूछ रहा, उनकी बातों को कोई नहीं सुनता, इसलिए पार्टी में टूट हो रही है.

राजद में टूट के तीन कारण : चेतन आनंद

विधायक चेतन आनंद ने कहा है कि तीन लोगों की वजह से राजद में टूट हो रही है. जिसमें सबसे पहला पिए हैं मनोज झा इसके अलावा संजय यादव और प्रीतम शामिल है. यह लोग लगातार मनमानी कर रहे हैं. इस वजह से पार्टी के कई विधायक नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं. यही कारण है कि राष्ट्रीय जनता दल में लगातार टूट हो रही है और अभी आगे भी टूट होगी.

पार्टी में लोग नाखुश हैं : चेतन आनंद

चेतन आनंद ने ने कहा कि हम पहले ही बोले थे कि पार्टी में लोग नाखुश हैं. खेल अभी बाकी है. आगे देखते जाइए क्या-क्या होता है. वहीं जब पत्रकारों ने उनसे पूछा की अभी आप किस दल में है, तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि हां वो सत्ता पक्ष में हैं.

मुझे दलित होने के कारण मुझे गाली दी जाती थी : संगीता कुमारी

राजद से पलटी मारने वाली विधायक संगीता कुमारी ने भी शुक्रवार को राजद पर आरोप लगाते हुए कहा है कि राजद में मुझे दलित होने के कारण गाली दी जाती थी. विधायक होने के बाद भी पंचायत स्तर तक का निर्णय नहीं ले पाती थी. इस कारण से वहां परेशानी थी.

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के काम से प्रभावित होकर आ रहे विधायक : लेसी सिंह

वहीं, पूर्व मंत्री लेसी सिंह ने कहा कि विपक्षीय विधाओं विधायकों के दल बदल पर भूमिका की जो विधायक आ रहे हैं वह प्रधानमंत्री और नीतीश कुमार के काम से प्रभावित होकर आ रहे हैं सिंह ने कहा कि इस बार सत्र को व्यवस्थित तरीके से चलने का प्रयास किया गया. लेकिन सबसे बड़ी विदा माना यह रही की इतिहास में पहली बार विपक्ष के नेता अपने दायित्व का निर्वहन नहीं किए. उन्हें विधानसभा में रहना था जन समस्याओं को उठाना था सरकार को सुझाव देना था. लेकिन इससे उतारू क्षेत्र में जनसभा कर रहे थे. इससे प्रतीत होता है कि बिहार की जन समस्या से विपक्ष को कोई लेना-देना नहीं.

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