Lok Sabha Election: लोकसभा में कांग्रेस बाहरी और जिताऊ प्रत्याशियों में लगाती रही है लगातार दांव
Lok Sabha Election मुंगेर लोकसभा सीट से वर्तमान विधायक नीलम देवी को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया था. इस लोकसभा चुनाव में भाजपा छोड़ने वाले शत्रुघ्न सिन्हा को कांग्रेस ने पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र का सिंबल दिया था.
शशिभूषण कुंवर, पटना
Lok Sabha Election लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को राज्य में बाहरी प्रत्याशियों को मैदान में उतारने से कोई गुरेज नहीं रहा है. उसकी शर्त यह रही कि प्रत्याशी नेमफेम और जिताऊ होना चाहिए. वह लोकसभा चुनाव में अपने जमीनी कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर ठीक संख्या में ऐसे प्रत्याशियों को लोकसभा का टिकट देती रही है. दीगर बात है कि उनमें से शायद ही कोई जीत पाता है. हर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यह प्रयोग करती रही है. हालांकि, उसे इसमें अब तक कोई खास सफलता नहीं मिली है.
37 में से 15 बाहरी प्रत्याशियों को उतारा था
लोकसभा क्षेत्रों के परिसीमन के बाद वर्ष 2009 में पहला संसदीय चुनाव कराया गया था. इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 40 लोकसभा क्षेत्रों में से तीन को छोड़कर शेष 37 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. कांग्रेस ने 37 सीटों में से 15 सीटों पर बाहरी प्रत्याशियों को उतारा था. इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के पुराने नेताओं को दो लोकसभा क्षेत्रों में जीत मिली थी. किशनगंज लोकसभा क्षेत्र से असरारूल हक और सासाराम सीट से मीरा कुमार सांसद चुनी गयी थीं.
बाहरी प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा था
इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बाहरी प्रत्याशियों में पश्चिम चंपारण से अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधू यादव, शिवहर लोकसभा से लवली आनंद, सुपौल से रंजीत रंजन (पहली बार), वैशाली से हिंद केशरी यादव, गोपालगंज से रमई राम, हाजीपुर से दसई चौधरी, उजियारपुर से शील कुमार राय, बांका से गिरिधारी यादव, मुंगेर से रामलखन सिंह, नालंदा से राम स्वरूप प्रसाद, पटना साहिब से शेखर सुमन, पाटलिपुत्रा से विजय सिंह यादव और जहानाबाद से डाॅ अरुण कुमार को उतारा था. इनमें से किसी को भी जीत नहीं मिली. मालूम हो कि उस लोकसभा चुनाव की घोषणा के ठीक 16 दिन पहले यूपीए में शामिल राजद के प्रमुख लालू प्रसाद ने लोजपा के साथ गठबंधन करके कांग्रेस के लिए सिर्फ चार सीटें छोड़ी थी, जिससे नाराज होकर कांग्रेस ने बिहार में अकेले लड़ने का निर्णय लिया था.
2014 के लोकसभा चुनाव में तीनों बाहरी हार गए
इसके बाद वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपीए के अंदर कांग्रेस को सिर्फ 12 सीटें मिली थीं. इस चुनाव में भी 12 में से तीन सीटों पर कांग्रेस ने बाहरी प्रत्याशियों को उतार दिया था, लेकिन किसी ने जीत हासिल नहीं की. कांग्रेस ने वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट से पूर्णमासी राम को टिकट दिया गया था. यह सामान्य सीट थी, जबकि पूर्णमासी राम अनुसूचित जाति समुदाय के थे और सामान्य सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे. वह इसे पहले राजद व जदयू में रह चुके थे. इस चुनाव में वर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डाॅ अखिलेश प्रसाद सिंह को कांग्रेस ने मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया था. इसके पहले वह राजद छोड़कर कांग्रेस में आये थे. कांग्रेस ने नालंदा लोकसभा सीट से बाहरी प्रत्याशी के रूप में राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक आशीष रंजन सिन्हा को टिकट दिया गया था. वह भी चुनाव हार गये थे.
2019 में नौ सीटों पर कांग्रेस लड़ी थी चुनाव
वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव भी कांग्रेस द्वारा बाहरी प्रत्याशियों का टिकट देने के लिए अपवाद नहीं रहा. पिछला लोकसभा चुनाव कांग्रेस ने राजद, रालोसपा, हम व वाइआइपी के साथ गठबंधन में लड़ा था. इस गठबंधन में बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को नौ सीटें मिली थीं. कांग्रेस ने अपने हिस्से की नौ सीटों में से चार पर बाहरी प्रत्याशियों को टिकट दिया था. इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कटिहार लोकसभा सीट से तारिक अनवर को टिकट दिया था. वह यहां से पहले कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत चुके थे. लेकिन, सोनिया गांधी के विदेशी मूल के सवाल को लेकर उन्होंने शरद पवार के साथ कांग्रेस छोड़कर एनसीपी का गठन किया था. लेकिन इस चुनाव के पहले वह एनसीपी छोड़कर कांग्रेस में लौट आये थे.
ललन सिंह के खिलाफ नीलम देवी को उतारा था मैदान में
इसके अलावा पूर्णिया लोकसभा सीट से भी बाहरी प्रत्याशी उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया था. उदय सिंह 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर जीत थे. लेकिन 2014 में जदयू के संतोष कुमार से हार गये थे. 2019 के चुनाव में एनडीए में यह सीट जदयू के कोटे में जाने से नाराज होकर वह कांग्रेस में शामिल हुए थे. वहीं, मुंगेर लोकसभा सीट से वर्तमान विधायक नीलम देवी को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया था. इस लोकसभा चुनाव में भाजपा छोड़ने वाले शत्रुघ्न सिन्हा को कांग्रेस ने पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र का सिंबल दिया था. अपनी लोकप्रियता के बाद भी शॉटगन लोकसभा चुनाव हार गये थे. अब 2024 का लोकसभा चुनाव का शंखनाद होना है. इस चुनाव में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कांग्रेस अपने खाते से कुछ सीटें बाहरी प्रत्याशी की झोली में डाल सकती है.
चुनाव-कुल प्रत्याशी-बाहरी
वर्ष 2009-37-15
वर्ष 2014-12-03
वर्ष 2019-09-04