अभिभावकों ने सुविधा के नाम पर अपने बच्चों के हाथों में स्मार्ट फोन थमा दिया है, लेकिन इसके दुष्परिणाम पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. जाने-अनजाने में स्मार्टफोन बच्चों को अपराध की दुनिया में धकेल रहा है, तो कुछ बच्चे साइबर बुलिंग का शिकार हो रहे हैं.
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केस स्टडी वन
धनबाद शहर के एक बड़े कोचिंग संस्थान के नौवीं कक्षा के वाट्सएप्प ग्रुप में बच्चों के बीच आपत्तिजनक चैटिंग का मामला सामने आया. इसमें बच्चों के दो गुटों में गाली- गलौज हो रही थी. शिक्षक के हस्तक्षेप के बाद भी बच्चे शांत नहीं हो रहे थे. बाद में शिक्षक को ग्रुप बंद कर पड़ा. बाद में शिक्षक ने बीच बचाव कर मामले को रफा-दफा किया.
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केस स्टडी टू
शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल की 12वीं कक्षा के वाह्टसअप ग्रुप में कुछ लड़के एक लड़के के लिए आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल कर रहे थे. जिस लड़के की बुलिंग की जा रही थी, उसने ग्रुप छोड़ दिया. वह मारपीट के भय से फिर स्कूल भी नहीं आया. 12वीं बोर्ड परीक्षा से पहले अपने अभिभावकों के साथ स्कूल आकर एडमिट कार्ड ले गया.
वर्चुअल दुनिया में नहीं है कुछ भी गुमनाम
अभिभावकों ने सुविधा के नाम पर अपने बच्चों के हाथों में स्मार्ट फोन थमा दिया है, लेकिन इसके दुष्परिणाम पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. जाने-अनजाने में स्मार्टफोन बच्चों को अपराध की दुनिया में धकेल रहा है, तो कुछ बच्चे साइबर बुलिंग का शिकार हो रहे हैं. हाल में ही अमेरिकी कंप्यूटर सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर कंपनी मैकफी के सर्वे में पता चला है कि दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत में बच्चे अधिक साइबर बुलिंग कर रहे हैं.
सर्वे में पाया गया कि किशोर सोचते हैं कि वर्चुअल दुनिया में वह पूरी तरह गुमनाम रहकर कुछ भी करेंगे, उसका कोई परिणाम नहीं होगा. सर्वे के मुताबिक 45 फीसदी भारतीय बच्चों ने कहा कि उन्होंने कभी न कभी किसी अजनबी को धमकी दी. वहीं अन्य देशों के 17 प्रतिशत बच्चों ने भी यही जवाब दिया. साथ ही 48 फीसदी भारतीय बच्चों ने कहा : उन्होंने उन लोगों के खिलाफ कभी न कभी बुलिंग की है. वहीं दुनिया भर में अन्य देशों के 21 प्रतिशत बच्चों ने भी ऐसा ही किया है.
कम उम्र में मोबाइल के उपयोग में महारत हासिल कर लेते हैं भारतीय बच्चे
सर्वे में यह बात भी सामने आयी है कि दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारतीय बच्चे सबसे कम उम्र में मोबाइल के उपयोग में महारत हासिल कर लेते हैं. इस वजह से यहां के बच्चे दुनिया भर में सबसे कम उम्र में साइबर बुलिंग सहित ऑनलाइन अपराध को अनुभव करते हैं.
इस सर्वे में यह भी बात सामने आयी है कि भारतीय माता पिता अपने बच्चों साइबर अपराध पर काफी कम बात करते हैं. सर्वे के मुताबिक यहां साइबर बुलिंग की उच्च दर की मुख्य वजह स्कूलों और घर पर बच्चों के बीच इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों को जल्दी और तेजी से अपनाना है. कोविड के बाद से इस आंकड़े में तेजी देखी जा सकती है.
इंटरनेट पर अधिक समय बिताने वाले बच्चे ही होते हैं साइबर बुलिंग का शिकार
बच्चों के साइबर बुलिंग के बढ़ते मामले को लेकर हाल में एनसीइआरटी ने भी एक सर्वे किया है. इसके अनुसार साइबर बुलिंग का शिकार वहीं बच्चे अधिक होते हैं, जो इंटरनेट पर अधिक समय बिताते हैं. इस सर्वे के अनुसार साइबर बुलिंग के शिकार बच्चों के व्यवहार में परिवर्तन हो जाता है. वह ऑनलाइन गतिविधियों से दूर हो जाते हैं.
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एनसीइआरटी ने सुझाये उपाय
एनसीइआरटी ने बच्चों को साइबर बुलिंग से बचाने के लिए उपाय सुझाया है. स्कूल को कहा गया है कि परिसर में कंप्यूटर लैब में ओरिजनल सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करें. शिक्षकों को कहा गया है कि कंप्यूटर लैब में कंप्यूटरों की ब्राउजिंग हिस्ट्री पर नजर रखें. वहीं अभिभावक को अपने बच्चों की स्क्रीन टाइम पर नजर रखें.