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दलमा राजा राकेश हेंब्रम ने वन देवी-देवताओं की पूजा अर्चना की, मांगी शिकार पर्व खेलने की अनुमति

जमशेदपुर: दलमा राजा राकेश हेंब्रम शनिवार की शाम को दलमा की तराई गांव फदलाेगोड़ा की पहाड़ी पर विशेष पूजा अर्चना किया. उन्होंने पहाड़ी पर जाकर पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार वन देवी-देवताओं का आह्वान किया. उसके बाद उनसे दिसुआ सेंदरा पर्व अर्थात शिकार पर्व खेलने की अनुमति मांगी. इस दौरान वे वन देवी-देवताओं के चरणों में […]

जमशेदपुर: दलमा राजा राकेश हेंब्रम शनिवार की शाम को दलमा की तराई गांव फदलाेगोड़ा की पहाड़ी पर विशेष पूजा अर्चना किया. उन्होंने पहाड़ी पर जाकर पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार वन देवी-देवताओं का आह्वान किया. उसके बाद उनसे दिसुआ सेंदरा पर्व अर्थात शिकार पर्व खेलने की अनुमति मांगी. इस दौरान वे वन देवी-देवताओं के चरणों में नतमस्तक हुए और उनसे इस वर्ष भी अच्छी बारिश के लिए प्रार्थना किया. रविवार की सुबह को राकेश हेंब्रम पुन: फदलोगोड़ा कालीमंदिर के समीप वन देवी-देवताओं को आह्वान करेंगे और सेंदरा वीरों के द्वारा लाये गये पारंपरिक हथियारों की पूजा अर्चना करेंगे.
दिसुआ सेंदरा वीरों का आज होगा जुटान
सेंदरा पर्व मनाने के लिए रविवार को दलमा की तराई में सेंदरा वीरों को जुटान होगा. सेंदरा वीर सुबह 7 बजे के बाद से ही आना शुरू हो जायेगा. रविवार की देर शाम तक उनके आने का सिलसिला जारी रहेगा. वे दलमा की तराई में गिपीतीज टांडी में रात्रि विश्राम करेंगे और 20 मई को तड़के सुबह दलमा पहाड़ी पर शिकार खेलने के लिए कूच करेंगे.दलमा सेंदरा में हर साल झारखंड, बंगाल, ओडिशा व बिहार से हजारों की संख्या में दिसुआ सेंदरा वीर आते हैं. इस वर्ष भी हजारों की संख्या में अपनी परंपरा को निर्वहन के लिए आने की उम्मीद जतायी जा रही है.
वन विभाग से सेंदरा वीरों को परेशान नहीं करने की अपील
दलमा राजा राकेश हेंब्रम ने बताते हैं कि उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों ने अनुरोध किया है कि दलमा में सेंदरा पर्व मनाने के लिए आने वाले सेंदरा वीरों को बेवजह तंग नहीं किया जाये. सेंदरा वीर आदिवासी समाज के नियमानुसार अपनी परंपरा का निर्वहन करने आते हैं. उनका मूल मकसद वन्य जीवों की हत्या करना बिलकुल नहीं है. बल्कि सेंदरा परंपरा को निर्वहन करना है. सेंदरा का अर्थ सिर्फ शिकार करना नहीं है, बल्कि इस अर्थ सघन तलाश करना भी है. चूंकि जल, जंगल व जमीन से आदिवासी समाज का गहरा रिश्ता है. वे इस सेंदरा पर्व के दौरान ही फल, फूल, कंद मूल व जड़ी बूटी आदि की तलाश करते हैं और जरूरत के वक्त उसे जंगल से ले जाते हैं. सेंदरा में कोई जंगली पशु मिले या नहीं मिले, इससे उनके उत्साह में कोई फर्क नहीं पड़ता है. सेंदरा पर्व में शामिल होना ही उनके लिए बहुत बड़ी बात होती है. क्योंकि सेंदरा पर्व के दौरान दिसुआ शिकारी आते हैं. उनसे उन्हें विभिन्न प्रांतों की जानकारी मिलती है. सेंदरा पर्व के दौरान सेंदरा वीर बहुत सारी नयी चीजों को सीखकर अपने घर को लौटते हैं.
जाल, फांस व बंदूक सेंदरा में पूर्णत: रहेगा वर्जित
राकेश हेंब्रम ने सेंदरा वीरों से अपील किया है कि वे अपने शिकार पर्व खेलने के लिए पारंपरिक हथियार ही लेकर आवें. दलमा बुरू सेंदरा समिति के आग्रह के बावजूद यदि कोई अपने साथ जाल, फांस व बंदूक आदि लाते हैं तो उन्हें कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है. झारखंड, बंगाल, बिहार व ओडिशा के सेंदरा वीरों को इसकी जानकारी दे दी गयी है. उन्होंने कि वन विभाग के पदाधिकारियों से अनुरोध किया है कि सेंदरा वीरों को सहयोग करें, अनावश्यक उनके साथ सख्ती नहीं बरतें. किसी तरह की परेशानी की स्थिति पैदा होने पर उनको भी जानकारी दी जाये.
जामडीह में सेंदरा पूजा अर्चना आज होगा
दलमा बुरू दिसुआ सेंदरा समिति द्वारा दलमा पहाड़ी की तराई गांव जामडीह में रविवार को बड़गाछ तल में सेंदरा पूजा का आयोजन होगा. इसकी अगुवाई समिति के अध्यक्ष फकीर चंद्र सोरेन करेंगे. श्री सोरेन ने बताया कि पूजा अर्चना की सारी प्रकिया पूरी कर ली गयी है. रविवार को दिसुआ सेंदरा वीरों का स्वागत किया जायेगा.

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