नयी दिल्ली : कांग्रेस ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए केन्द्र सरकार के कार्यबल में प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को शामिल करने, छोटे प्रदेशों को वित्तीय पैकेज देने तथा जांच मुफ्त करने सहित कई कदम उठाने का सुझाव दिया .
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प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई विपक्षी नेताओं की बैठक के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने यह भी कहा कि ज्यादातर दलों ने लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने का सुझाव दिया. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन की मियाद बढ़ाने या कोई दूसरा कदम उठाने से पहले वह मुख्यमंत्रियों और अपने सहयोगियों से विचार-विमर्श करेंगे. आजाद ने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ”हमने प्रधानमंत्री को बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष गांधी ने उन्हें कई पत्र लिखकर सुझाव दिए हैं. मेरी अपील होगी कि सरकार उनके सुझावों पर अमल करे.”
उनके मुताबिक, सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में निर्माण क्षेत्र के कामगारों के लिए बने कोष से सहायता राशि बांटने का सुझाव दिया था. प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पैसा श्रमिकों को बांटा जाएगा. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि कांग्रेस ने प्रधानमंत्री को यह सुझाव भी दिया कि स्वास्थ्य कर्मियों को निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) उपलब्ध कराने पर सबसे ज्यादा ध्यान देना चहिये, साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बीमा की सुविधा भी सुनिश्चित हो. उन्होंने कहा, ”हमने प्रधानमंत्री से कहा कि वायरस को जड़ से खत्म करने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है. साथ ही लक्षित और क्षेत्रवार योजना भी बनाई जानी चाहिए.”
आजाद ने बताया कि कांग्रेस की तरफ से कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच मुफ्त करने और बड़े पैमाने पर जांच करने की मांग की गई. उन्होंने कहा कि देश के 45 करोड़ श्रमिकों को मदद देने, फसलों की कटाई और उपज की खरीद में किसानों की मदद करने, उर्वरक, कीटनाशक और खेती में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों पर जीएसटी खत्म करने और किसानों के कर्ज पर ब्याज के भुगतान को छह महीने के लिए टालने के सुझाव भी दिये गए.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, ”कोरोना वायरस संकट को लेकर केंद्र ने एक कार्यबल बनाया है. हमने कहा कि इसमें उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को शामिल किया जाए जहां कोविड-19 के मामले अधिक हैं.” उन्होंने कहा कि छोटे राज्यों को केंद्र सरकार विशेष वित्तीय पैकेज दें