कर्नाटक के रहनेवाले 22 साल के एनएम प्रताप ने ई-कचरे की मदद से एक ऐसा ड्रोन बना दिया है जिसकी चर्चा दुनिया में हो रही है. उनके इनोवेटिव खोज से प्रभावित कई देशों ने उन्हें आने के लिए निमंत्रण भेजा है. फ्रांस ने उन्हें मंथली सैलरी 16 लाख रुपये, फाइव बीएचके हाउस और ढाई करोड़ की कार का ऑफर दिया. लेकिन, देश के लिए उन्होंने यह ऑफर ठुकरा दिया. प्रताप पीएम मोदी से खासे प्रभावित हैं.
उन्हीं से प्रेरित होकर प्रताप ने देश के लिए काम करने का निश्चय किया. पीएम मोदी ने हाल ही में उन्हें डीआरडीओ में साइंटिस्ट नियुक्त किया है. एनएम प्रताप को लोग अब प्यार से ड्रोन प्रताप कह कर पुकारने लगे हैं. 14 साल की उम्र में पहली बार प्रताप की जान पहचान ड्रोन से हुई थी. इसके बाद उन्होंने ड्रोन चलाने से लेकर उसे खोलना और रिपेयरिंग का काम भी शुरू कर दिया. 16 साल की उम्र में प्रताप ने ऐसा ड्रोन बनाया जो उड़ सकता था और फोटोज ले सकता था.
खास बात यह है कि ये ड्रोन उन्होंने कबाड़ से बनाया था. प्रताप ने यह सब खुद से सीखा है. ड्रोन बनाते समय प्रताप की पहली कोशिश यह रहती है कि ड्रोन बनाने में कम-से-कम लागत लगे. यहां तक कि ई-कचरा भी कम पैदा हो. टूटे हुए पुराने ड्रोन, मोटर, कैपेसिटर के इस्तेमाल से वे ड्रोन बना देते हैं.
किसान परिवार से ताल्लुक, आइआइटी बॉम्बे में देते हैं लेक्चर : प्रताप एक किसान परिवार से ताल्लुकात रखते हैं. कर्नाटक बाढ़ के दौरान प्रताप के ड्रोन्स ने राहत कार्यों में लगे लोगों का बखूबी साथ दिया. प्रताप आइआइटी बॉम्बे और आइआइएससी में लेक्चर दे चुके हैं.
जर्मनी में अल्बर्ट आइंस्टीन इनोवेशन गोल्ड मेडल से किया जा चुका है सम्मानित : प्रताप को अभी तक 87 देशों से न्योता आ चुका है. जर्मनी में इंटरनेशनल ड्रोन एक्सपो 2018 में प्रताप को अल्बर्ट आइंस्टीन इनोवेशन गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जा चुका है. प्रताप ई-कचरे की मदद से ऐसे ड्रोन बनाते हैं, जो जरूरतमंद लोगों के काम आते हैं. प्रताप ने अब तक 600 से अधिक ड्रोन बनाये हैं और अब उन्हें ड्रोन वैज्ञानिक के तौर पर पहचान मिल रही है.
Post by : Pritish Sahay