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डबल्यूएचओ के सॉलिडैरिटी ट्रायल से जुटे भारत के 9 अस्पताल, मरीजों पर आजमाई जाएंगी ये दवाएं

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के खिलाफ एक प्रभावी उपचार खोजने में मदद करने के लिए वैश्विक 'सॉलिडैरिटी' परीक्षण शुरू किया है. जिसमे कई देशों के डॉक्टर और रिसर्चर दुनियाभर के कोरोना संक्रमितों का रोग परीक्षण करते हैं.

कोरोना वायरस की चपेट में पूरी दुनिया है. हर देश इसके संक्रामण से जूझ रहा है. जिस तेज गति से कोरोना दुनिया में फैल रहा है उतनी ही तेजी से इसके निदान की भी तलाश की जा रही है. डबल्यूएचओ काफी समय से कोविद-19 का सटीक उपचार ढूंढ रहा है. इस काम में इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च भी जी जान से जुटा है. आईसीएमआर इसके लिए डबल्यूएचओ के जुटाये कोरोना मरीजो के ‘सॉलिडैरिटी’ परीक्षण का अध्ययन कर रहा है. दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के खिलाफ एक प्रभावी उपचार खोजने में मदद करने के लिए वैश्विक ‘सॉलिडैरिटी’ परीक्षण शुरू किया है. जिसमे कई देशों के डॉक्टर और रिसर्चर दुनियाभर के कोरोना संक्रमितों का रोग परीक्षण करते हैं.

दरअसल सॉलिडैरिटी परीक्षण कोरोना वाइरस के चार उपचार विकल्पों की तुलना करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय नैदानिक ​​परीक्षण है. जिसके तहत कई देशों में रोगियों को भर्ती करके तेजी से यह पता लगाना है कि क्या कोई भी दवा रोग को धीमा करती है या उत्तरजीविता में सुधार करती है. इस काम में भारत की भागीदारी के बारे में बोलते हुए, स्वास्थ्य अनुसंधान और आईसीएमआर के महासचिव, प्रो बलराम भार्गव ने कहा, कोरोना वाइरस महामारी का मुकाबला करने के लिए आईसीएमआर के वैज्ञानिक अथक रूप से काम कर रहे हैं. और डब्ल्यूएचओ के एकजुटता परीक्षण में शामिल होने का फैसला इस प्रयास में एक महत्वपूर्ण कदम है.

नेशनल एड्स रिसर्च इंस्टीट्यूट भारत में परीक्षण के लिए राष्ट्रीय समन्वय स्थल है. उन्होंने ये भी बताया की चार संभावित एंटी-वायरल एजेंट रेमेडीसविर, क्लोरोक्वीन ,हाइड्रोक्लोरक्लोरोक्विन, लोपिनवीर-रितोनवीर और लोपिनवीरिरोनोन का परीक्षण किया जाना है, उन्होने वैश्विक एकजुटता परीक्षण में शामिल होने के लिए केंद्र सरकार, विशेष रूप से आईसीएमआर को बधाई दी. वहीं, भारत में डबल्यूएचओ के प्रतिनिधि, डॉ हेंक पकेडम ने कहा कि भारत में परीक्षण के संचालन के लिए डबल्यूएचओ भारत को सभी आवश्यक सहयोग प्रदान कर रहा है.

भारत में सॉलिडैरिटी ट्रायल की प्रगति पर चर्चा करते हुए एनएआरआई और नेशनल कोऑर्डिनेटर डॉ शीला गोडबोले ने कहा कि “आवश्यक विनियामक और नैतिक अनुमोदन पहले ही प्राप्त हो चुके हैं और नैदानिक ​​परीक्षण स्थल शुरू हो गए हैं. उन्होंने बताया की अब तक, कुल नौ साइटों को मंजूरी दी गई है. साथ ही कहा की दुनिया भर के 100 से अधिक देशों ने परीक्षण के माध्यम से जितनी जल्दी हो सके इसके खिलाफ प्रभावी चिकित्सा को खोजने का प्रयास कर रहे हैं.

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