क्या AAP का पुराना साथी बिगाड़ देगा दिल्ली का खेल! क्या है इसके पीछे का सियासी समीकरण
Aam Aadmi Party: दिल्ली के चुनाव में कांग्रेस आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा फैक्टर है. अगर कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ता है तो निश्चित तौर पर इसका असर ग्राउंड पर दिखेगा. आइए समझते हैं दिल्ली का सियासी समीकरण
Aam Aadmi Party: दिल्ली में विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी माहौल गरम हो गया है. लोकसभा चुनाव तक इंडिया गठबंधन का हिस्सा रही. आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस अब एक-दूसरे के अब धुर विरोधी बन चुके हैं. दिल्ली की सत्ता पर पिछले 10 सालों से काबिज आम आदमी पार्टी के लिए सरकार बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है, जबकि कांग्रेस अपनी पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल के दौरान हुए विकास कार्यों को याद दिलाकर चुनावी मैदान में मजबूती से उतरने का प्रयास कर रही है.
क्या कांग्रेस बिगाड़ेगी AAP का खेल
चुनाव प्रचार में आम आदमी पार्टी को कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिल रही है, क्योंकि कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन जनता को दिखाने के लिए बहुत कुछ है. कांग्रेस लगातार शीला दीक्षित के कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों को उजागर कर आम आदमी पार्टी को घेर रही है. दिल्ली में मेट्रो, सड़कों, और फ्लाईओवर निर्माण का हवाला देते हुए कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि शीला दीक्षित की सरकार ने जो विकास किया, वैसा आज तक कोई नहीं कर सका.
क्या रहा है AAP और कांग्रेस का पिछला चुनावी आकड़ें
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच की कड़ी टक्कर को समझने के लिए हमें पिछले चुनावों को देखना जरूरी है. 2013 में जब AAP ने पहली बार चुनाव लड़ा, तो उसे 28 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस 8 सीटों तक सिमट गई थी. इसके बाद 2015 और 2020 के चुनावों में आम आदमी पार्टी ने और भी बड़ी जीत हासिल की, और कांग्रेस का वोट प्रतिशत बहुत गिरता चला गया. 2020 में आम आदमी पार्टी को 53.57 फीसदी वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस का वोट शेयर मात्र 5 फीसदी रह गया था.
अब कांग्रेस दिल्ली में अपने खोए हुए जनाधार को वापस पाने की कोशिश कर रही है. यदि वह इसमें सफल हो जाती है और पुराने वोटर AAP से दूर होकर कांग्रेस का समर्थन करने लगते हैं, तो आम आदमी पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
BJP का लगातार बढ़ता रहा है वोट प्रतिशत
वहीं, बीजेपी की स्थिति भी मजबूत होती जा रही है, क्योंकि पिछले चुनाव में उसका वोट शेयर 38.51 प्रतिशत तक पहुंच गया था। अगर कांग्रेस को सफलता मिलती है और उसके पुराने वोटर वापस लौटते हैं, तो बीजेपी को फायदा हो सकता है। यही वजह है कि आम आदमी पार्टी इस बार अपनी लड़ाई कांग्रेस से नहीं, बल्कि बीजेपी से दिखा रही है.
चुनावी आंकड़े और असलियत ये साबित करते हैं कि AAP की जीत का मुख्य कारण कांग्रेस के वोटों का उनके पास शिफ्ट होना रहा है. यदि इस बार कांग्रेस पुराने वोटरों को वापस पाने में सफल होती है, तो आम आदमी पार्टी को अपनी सत्ता बचाने में मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है.
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