नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोविड-19 के नियमों के कथित उल्लंघन के मामले में सर गंगा राम अस्पताल के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को लेकर जांच और अन्य कार्रवाइयों पर सोमवार को रोक लगा दी. न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर ने अस्पताल की याचिका पर अंतरिम आदेश जारी करते हुए पांच जून को राजिंदर नगर पुलिस थाने में भादंवि की धारा 188 के तहत दर्ज प्राथमिकी से जुड़ी सभी जांच और कार्रवाइयों पर रोक लगा दी.
प्राथमिकी के अनुसार दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अस्पताल पर कोविड-19 के नमूने लेते समय आरटी-पीसीआर एप का इस्तेमाल ना करने का आरोप लगाया है. उसने कहा कि दिशा-निर्देशों के अनुसार किसी भी प्रयोगशाला के लिए नमूने लेने के लिए आरटी-पीसीआर एप का इस्तेमाल ‘‘अनिवार्य” है. अधिकारी ने यह भी आरोप लगाया है कि अस्पताल कोविड-19 नियमों का पालन भी नहीं कर रहा है, जो कि महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत निर्दिष्ट है.
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गौरतलब है कि केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के द्वारा ये एप जारी किया गया. लेकिन गंगा राम अस्पाताल ने इस एप का इस्तेमाल नहीं किया. यही वजह था कि दिल्ली सरकार ने उनके ऊपर कार्रवाई करने का आदेश दिया था. इसके अलावा सर गंगा राम अस्पताल पर ये भी आरोप लगा था कि वो लोगों को क्षमता के अनुसार उचुत सुविधा नहीं दे रहा है. उस पर मरीजों को भर्ती न करने और बेड के काला बजारी करने का भी आरोप है.
बता दें कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने ये आदेश जारी था कि कोई भी अस्पताल अपने मरीजों को भर्ती करने से इनकार नहीं कर सकता है. इसके अलावा उन्होंने बेडों की काला बजारी करने वालों को भी कड़ी चेतावनी दी थी कि वो ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लेंगे. केजरीवाल ने यह भी कहा था कि वह इसके लिए एक चिकित्सा पेशेवर की तैनाती करेंगे. इसके लिए उन्होंने एक एप जारी किया था. जो ये बताता है कि अस्पातालों में कोरोना मरीजों के लिए कितने बेड उपलब्ध है.
Posted By : Sameer Oraon