सीबीडीटी ने बिना अनुमति रिपोर्ट बनाने, सार्वजनिक करने वाले आइआरएस अधिकारियों के खिलाफ शुरू की जांच
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने रविवार को कहा कि आयकर विभाग के उन 50 आइआरएस अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की जा रही है, जिन्होंने कोविड-19 से जुड़े राहत उपायों के लिये राजस्व जुटाने पर एक अवांछित रिपोर्ट तैयार की है और इसे बिना अनुमति के सार्वजनिक भी कर दिया
नयी दिल्ली : केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने रविवार को कहा कि आयकर विभाग के उन 50 आइआरएस अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की जा रही है, जिन्होंने कोविड-19 से जुड़े राहत उपायों के लिये राजस्व जुटाने पर एक अवांछित रिपोर्ट तैयार की है और इसे बिना अनुमति के सार्वजनिक भी कर दिया. सीबीडीटी ने एक बयान में कहा कि उसने आइआरएस एसोसिएशन या इन अधिकारियों से इस तरह की रिपोर्ट तैयार करने के लिए कभी नहीं कहा और न ही इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से पहले कोई अनुमति ली गयी.
सीबीडीटी ने कहा, यह स्पष्ट किया जाता है कि सीबीडीटी ने आइआरएस एसोसिएशन या इन अधिकारियों से इस तरह की रिपोर्ट तैयार करने के लिए कभी नहीं कहा. आधिकारिक मामलों पर अपने व्यक्तिगत विचारों और सुझावों के साथ सार्वजनिक रूप से जाने से पहले अधिकारियों द्वारा कोई अनुमति नहीं मांगी गयी, जो कि आदर्श आचरण नियमों का उल्लंघन है. इस मामले में आवश्यक जांच शुरू की जा रही है. इसमें आगे कहा गया है कि सार्वजनिक की गयी रिपोर्ट किसी भी तरीके से सीबीडीटी अथवा वित्त मंत्रालय के आधिकारिक विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है.
वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने इससे पहले कहा था कि इन अधिकारियों की रिपोर्ट व्यर्थ है. यह अनुशासनहीनता और सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन है. एक सूत्र ने कहा, ऐसी रिपोर्ट तैयार करना उनके काम का हिस्सा भी नहीं था. इसलिए, यह प्रथम दृष्टया अनुशासनहीनता और आचरण नियमों का उल्लंघन है, जो विशेष रूप से अधिकारियों को बिना किसी पूर्व स्वीकृति के आधिकारिक मामलों पर अपने व्यक्तिगत विचारों के साथ मीडिया में जाने पर रोक लगाता है.
मंत्रालय के सूत्रों ने आगे कहा कि आईआरएस एसोसिएशन के ट्विटर और वेबसाइट के माध्यम से मीडिया में रिपोर्ट जारी करना कुछ अधिकारियों का ‘गैर जिम्मेदाराना कार्य’ है. उधर, आइआरएस एसासेसियेसन ने भी ट्वीट में कहा है, 50 युवा आईआरएस अधिकारियों द्वारा तैयार दस्तावेज ‘फोर्स’ जिसमें कुछ नीतिगत उपायों के बारे में सुझाव दिया गया है और इसे सीबीडीटी को विचार के लिये भेजा गया. यह समूचे भारतीय राजस्व सेवा अथवा आयकर विभाग के आधिकारिक विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है.