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आयुर्वेद से कोरोना का इलाज, दवा विकसित करने के लिये केंद्र ने बनाया टास्क फ़ोर्स

नयी दिल्ली : भारत सहित कई देश कोरोना संक्रमण का सामना कर रहे है. पूरी दुनिया में एक लाख से अधिक लोगों की मौत हो चूकी है. इस वायरस के ख़तरे से निबटने के लिये कई देशों में वैक्सीन को लेकर शोध जारी है. भारत भी इस काम में लगा हुआ है. भारत सरकार ने […]

By Pritish Sahay | April 13, 2020 6:50 AM

नयी दिल्ली : भारत सहित कई देश कोरोना संक्रमण का सामना कर रहे है. पूरी दुनिया में एक लाख से अधिक लोगों की मौत हो चूकी है. इस वायरस के ख़तरे से निबटने के लिये कई देशों में वैक्सीन को लेकर शोध जारी है. भारत भी इस काम में लगा हुआ है. भारत सरकार ने वैक्सीन के लिये पुणे की एक स्टार्ट अप को आर्थिक मदद दिया है, वहीं इसके इलाज के लिये दूसरे उपायों पर भी काम किया जा रहा है. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष मंत्रालय के तहत एक टास्क फोर्स का गठन किया है. यह टास्क फ़ोर्स भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने के लिए आयुर्वेद की दवा विकसित करेगा.

आयुर्वेद की वैज्ञानिक मान्यता के लिए इस टास्क फोर्स का गठन किया है. यह आयुर्वेद और पारंपरिक दवाइयों के मेडिकल फॉर्मूले को कोरोना के खिलाफ वैज्ञानिक तरीके से प्रयोग करने की दिशा में काम करेगा. इसकी जानकारी देते हुए केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपाद यसो नाइक ने कहा कि एलोपैथिक दवा कोरोना के इलाज में नाकाम साबित हो रही है और उम्मीद है कि आयुर्वेद और होम्योपैथिक दवाएं कोरोना वायरस जैसी खतनाक बीमारी के उपचार में कारगर सिद्ध होगी.

अभी तक इससे जूड़े लगभग दो हज़ार प्रस्ताव मिले हैं और कई प्रस्तावों की साइंटिफ़िक वैधता की जांच के लिये रिसर्च संस्थाओ को भेजा जायेगा. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत जल्द ही आयुर्वेदिक पद्धति से कोरोना वायरस के रोगियों का इलाज करेगा. वैज्ञानिक प्रामाणिकता नहीं मिलने के कारण इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति का सही प्रयोग नहीं हो पा रहा है. ध्यान देने वाली बात है कि हाल में एक आयुर्वेद डॉक्टर ने चेन्नई हाई कोर्ट में याचिका दाख़िल कर सरकार से अपने द्वारा बनायी गयी दवा को कोरोना इलाज के लिये मंज़ूरी देने की मांग की थी.

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