लैंगिक असमानता को मिटाना के लिए केंद्र सरकार ने पंचायत स्तर से की शुरुआत
Gender Inequality : पंचायती राज मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश को हर जिले में कम से कम एक ग्राम पंचायत को आदर्श महिला-हितैषी ग्राम पंचायत के तौर पर विकसित करने के लिए कहा है. ऐसे चयनित ग्राम पंचायत महिला-केंद्रित शासन में सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रदर्शित करने वाले उदाहरण के तौर पर काम करेंगी.
Gender Inequality : सरकार सतत विकास के लक्ष्य को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है. इस लक्ष्य को स्थानीय स्तर पर लागू करने और महिलाओं के लिए समान अवसर मुहैया कराने के लिए पंचायती राज मंत्रालय महिला-हितैषी ग्राम पंचायतें बनाने की दिशा में कई अहम कदम उठाए हैं. इन पहलों का मकसद पंचायत स्तर पर लैंगिक समानता हासिल करने, महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने और जमीनी स्तर पर एक जैसी शासन व्यवस्था को बढ़ावा देना है. समान योजना के महत्व को देखते हुए पंचायती राज मंत्रालय ने ग्राम सभाओं से पहले महिला सभाओं और बाल-बालिका सभाओं के आयोजन को बढ़ावा दिया है.
महिला सभाएं और बाल-बालिका सभाएं ग्राम पंचायत विकास योजना की तैयारी से पहले आयोजित की जाती हैं, महिलाओं और बच्चों को अपने मसले बताने, निर्णय लेने में योगदान करने और उनके हितों को प्राथमिकता देने का मंच मुहैया कराती है. साथ ही पंचायती राज मंत्रालय ने पंचायतों से कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के अनुरूप वैधानिक संस्थागत तंत्र स्थापित करने को कहा है ताकि कार्यस्थल पर महिलाओं को सुरक्षित माहौल मिल सके.
महिला-हितैषी ग्राम पंचायतों का होगा चयन
पंचायती राज मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश को हर जिले में कम से कम एक ग्राम पंचायत को आदर्श महिला-हितैषी ग्राम पंचायत के तौर पर विकसित करने के लिए कहा है. ऐसे चयनित ग्राम पंचायत महिला-केंद्रित शासन में सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रदर्शित करने वाले उदाहरण के तौर पर काम करेंगी. इसके अलावा सभी ग्राम पंचायत जहां महिला-हितैषी ग्राम पंचायत के लिए तय प्रतिबद्धता को सही तरीके से अपनाया गया है उन्हे पूर्व के प्रयासों को मजबूती से आगे लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा. पंचायती राज मंत्रालय, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के सहयोग से, यशवंतराव चव्हाण अकादमी ऑफ डेवलपमेंट एडमिनिस्ट्रेशन पुणे, महाराष्ट्र में 4 से 6 नवंबर 2024 तक एक राष्ट्रीय स्तर की प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन करने जा रहा है. इस कार्यशाला का मकसद महिला-हितैषी ग्राम पंचायत पहलों का नेतृत्व करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस मास्टर प्रशिक्षकों की एक टीम तैयार करना है. ये प्रशिक्षित मास्टर प्रशिक्षक राज्य और पंचायत स्तर पर प्रशिक्षकों को सशक्त बनाने और ग्राम पंचायतों को समावेशी, महिला-हितैषी मॉडल में बदलने में मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
Also Read : क्या नेहरू-गांधी परिवार की 5वीं पीढ़ी राजनीति में इंट्री को है तैयार, क्या कहते हैं राजनीतिक पंडित?
महिलाओं के विकास की बनेगी रणनीति
पंचायती राज मंत्रालय ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के पंचायती राज विभागों से राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थानों, राज्य पंचायत संसाधन केंद्रों और पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थानों से फैकल्टी मेंबर्स और रिसोर्स पर्सन्स को नामांकित करने का औपचारिक अनुरोध किया है. ये विशेषज्ञ ग्रामीण शासन (ग्रासरूट्स गवर्नेंस) और लैंगिक मुद्दों पर राष्ट्रीय कार्यशाला में विशेष प्रशिक्षण मुहैया कराएंगे. सरकार की कोशिश महिला-हितैषी ग्राम पंचायत को समावेशी विकास के लिए तैयार करना है. केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय की यह अभिनव पहल ग्रामीण महिलाओं और लड़कियों के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में उठाया गया कदम है. महिला-हितैषी पंचायत का विचार एक ऐसे समावेशी समुदाय का निर्माण करना है, जहां महिलाएं और लड़कियां न केवल सुरक्षित महसूस करें, बल्कि विकास की मुख्यधारा में सक्रिय भागीदार के रूप में अपनी भूमिका निभा सकें. महिला-हितैषी पंचायतों का मकसद महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और रोजगार के अवसरों तक सुगम पहुंच सुनिश्चित कराना है.