नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी है कि जो लोग शहर से गांवों की तरफ जा रहे हैं 10 में से कम से कम तीन लोग कोरोना वायरस लेकर गांव पहुंच सकते हैं. महाधिवक्ता तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में बताया है कि 28 लाख लोगों की एयरपोर्ट और बंदरगाहों पर जांच हुई है. लगभग 3.5 लाखों पर कड़ी नजर रखी जा रही है. लगभग 22.88 लाख लोग दूसरे राज्यों से मजदूरी के लिए आये लोग है जिन्हें खाना और रहने के लिए जगह दी जा रही है उन्हें दूसरे राज्यों में जाने से रोक दिया गया है.
इस सुनवाई में केंद्री गृह मंत्रालय के सचिव ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इस सुनवाई में हिस्सा लिया. उन्होंने बताया कि हमारे पास जो सूचना है उसके आधार पर लगभग 6.63 लाख लोगों को रहने के लिए जगह दी गयी है और अब सड़क पर घर जाने के लिए कोई मजदूर नहीं है, उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि कोई मजदूर घर जाने केलिए रास्ते में नहीं है.
महाधिवक्ता ने कहा है कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सबसे बड़ी परेशानी जो आ रही है वह फेक न्यूज की है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि जो लोग भी इस तरह के फेक न्यूज फैला रहे हैं उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे चलाइये. सुप्रीम कोर्ट को जवाब देते हुए महाधिवक्ता ने कहा है कि फेक न्यूज को कम करने के लिए अलग से एक यूनिट बनी है जो स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव देख रहे हैं इसके साथ हेल्थ एक्सपर्ट और एम्स के सीनियर डॉक्टर भी हैं जो सारे सवालों को जवाब दे रहे हैं ताकि अफवाह ना फेले और लोगों को उनके सवालों का जवाब मिल जाए.
जब कोरोना वायरस के खतरे का पता चला कि यह मानवता के लिए कितना बड़ा खतरा है तो उस वक्त भारत में सिर्फ एक लैब था जो पुणे में था. अब हमारे पास 118 लैब हैं जो पूरे देश में फैले हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मजदूरों के रहने खाने और स्वास्थ्य सुविधा के लिए विस्तार से आदेश जारी किया जाना चाहिए जो बीच रास्ते में फंसे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों में जो डर है वह कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक है. सरकार को लोगों तक सही जानकारी और धर्य देने के लिए धार्मिक और सामुदायिक नेताओं की भी मदद लेनी चाहिए ताकि लोग घरों में रहें. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सलाल दी है कि नेता और धार्मिक नेता भी वहां जाए जहां मजदूर फंसे हैं राहत कैंप में जाकर वह उनसे बात करके उनके अंदर के डर को खत्म कर सकते हैं.