Coronavirus Update : निजामुद्दीन मरकज में नमाज अदा करने को लेकर गाइडलाइन जारी, करना होगा ये काम
Coronavirus update, Guidelines on namaz in Nizamuddin Markaz, Tablighi Jamaat केंद्र ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वक्फ बोर्ड द्वारा चुने गए 50 लोगों को आने वाले त्यौहारी मौसम में निजामुद्दीन मरकज में तब नमाज अदा करने की अनुमति दी जा सकती है, जब उन व्यक्तियों के नाम क्षेत्र के एसएचओ को प्रदान किए जाएं.
केंद्र ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वक्फ बोर्ड द्वारा चुने गए 50 लोगों को आने वाले त्यौहारी मौसम में निजामुद्दीन मरकज में तब नमाज अदा करने की अनुमति दी जा सकती है, जब उन व्यक्तियों के नाम क्षेत्र के एसएचओ को प्रदान किए जाएं.
निजामुद्दीन मरकज को खोलने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार द्वारा न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता के समक्ष यह बात कही गई. मरकज में कोरोना महामारी के दौरान तबलीगी जमात का कार्यक्रम आयोजित किया गया था और मरकज पिछले साल 31 मार्च से बंद है.
केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता रजत नायर ने अदालत को बताया कि दिल्ली वक्फ बोर्ड को क्षेत्र के पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी (एसएचओ) को 50 नामों से युक्त एक आवेदन देना होगा और उसके बाद ही केवल उन लोगों को नमाज अदा करने के लिए मस्जिद में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी.
केंद्र की ओर से यह बात तक कही गई जब वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता और वकील वजीह शफीक ने अदालत से आग्रह किया कि सप्ताहांत में ‘शब-ए-बारात’ के दौरान मस्जिद में कुछ लोगों को नमाज अदा करने की अनुमति दी जाए.
उन्होंने कहा कि केवल मस्जिद का उपयोग किया जाएगा, वहां स्थित मदरसे का नहीं. गुप्ता ने अदालत से यह भी आग्रह किया कि 13 अप्रैल से शुरू होने वाले रमजान के पवित्र महीने से पहले इस मामले में फैसला किया जाए क्योंकि उस दौरान और ज्यादा लोग मस्जिद में नमाज अदा करना चाहेंगे. इसके बाद, अदालत ने मामले को 12 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.
बोर्ड ने अपनी दलील में कहा है कि अनलॉक -1 दिशानिर्देशों के बाद भी निषिद्ध क्षेत्र के बाहर स्थित धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति दी गई जबकि मरकज अभी भी बंद हैं जिसमें मस्जिद बंगले वाली, मदरसा काशिफ-उल-उलूम और छात्रावास शामिल है.
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इसमें कहा गया कि भले ही यह परिसर किसी भी आपराधिक जांच या सुनवायी का हिस्सा हो, लेकिन इसे बंद करना जांच प्रक्रिया का एक पुराना तरीका है. कोरोना लॉकडाउन के दौरान मरकज में आयोजित तबलीगी जमात कार्यक्रम और विदेशियों के ठहरने के संबंध में महामारी रोग अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम, विदेश अधिनियम और दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है.