Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) और कांग्रेस के बीच राजनीतिक संघर्ष अब उफान पर है. इन तीनों प्रमुख दलों ने अपनी जीत का दावा करते हुए जनता को आकर्षित करने के लिए विभिन्न वादे किए हैं. दिल्ली के 1.55 करोड़ मतदाताओं को यह तय करना है कि अगले पांच साल दिल्ली की सत्ता किसके हाथों में होगी. इन दलों ने महिला, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली जनता, मिडिल क्लास और युवा जैसे मतदाता समूहों को अपनी ओर खींचने के लिए एक से बढ़कर एक घोषणा की है. हालांकि, चुनाव का निर्णय असल में उन 15 फीसदी स्विंग वोटर्स पर निर्भर करेगा, जो कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में होते हैं, तो कभी ‘आप’ के नेता अरविंद केजरीवाल को पसंद करते हैं.
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दिल्ली के पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि यहां लगभग 15 प्रतिशत स्विंग वोटर्स हैं. ये वोटर्स कभी भाजपा को, तो कभी आप को समर्थन देते हैं. 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी 7 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि आप ने गठबंधन कर 24 प्रतिशत और कांग्रेस ने करीब 19 प्रतिशत वोट प्राप्त किए. पिछले तीन चुनावों के नतीजों से यही साफ होता है कि दिल्ली में बहुत सारे वोटर्स ऐसे हैं जो केंद्र सरकार के लिए मोदी को और दिल्ली में केजरीवाल की मुफ्त योजनाओं के लिए उन्हें चुनते हैं.
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भा.ज.पा. को अपनी चुनौती उन स्विंग वोटर्स को बनाए रखने की है, जिन्होंने हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन दिया था. भाजपा इस बार उन्हें अपनी तरफ बनाए रखने के लिए ‘शीशमहल’, टूटी सड़कों, गंदे पानी और यमुना प्रदूषण जैसे मुद्दों को उठाकर केजरीवाल की नीतियों को चुनौती देने की कोशिश कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुफ्त योजनाओं को जारी रखने का वादा किया है ताकि वो वोटर्स जो केजरीवाल की मुफ्त योजनाओं को पसंद करते हैं, उनका समर्थन अपने पक्ष में कर सके. अगर भाजपा 10 फीसदी स्विंग वोटर्स को अपने पक्ष में रखने में सफल रहती है, तो परिणाम बदल सकते हैं.
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