2015 के चुनाव में अरविंद केजरीवाल के प्रमुख वादों में से एक यह था कि उनकी सरकार दिल्ली के सरकारी स्कूलों को शहर के निजी स्कूलों से भी बेहतर बनाएगी. उस समय, लोगों ने इस वादे को हल्के में लिया क्योंकि कोई भी यह विश्वास नहीं कर सकता था कि दिल्ली के सरकारी स्कूल महंगे निजी स्कूलों से बेहतर हो सकते हैं. लेकिन आज की तारीख में सीबीएसई 12वीं के नतीजों से ये साबित हो गया कि दिल्ली के सरकारी स्कूल के बच्चे और टीचर किसी से कम नहीं है. सोमवार को आए सीबीएसई 12वीं के परिणामों ने फिर से दिखाया है कि शिक्षा क्रांति का दिल्ली मॉडल देश में सबसे अच्छा क्यों है.
दिल्ली सरकार के स्कूलों के शानदार प्रदर्शन की ख़बरों को साझा करते हुए मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा, इस बात की घोषणा करते हुए गर्व महसूस होता है कि इस साल दिल्ली सरकार के स्कूलों का सीबीएसई 12 वीं कक्षा का परिणाम 98% अब तक का उच्चतम हैृ. यह ऐतिहासिक है. मेरी टीम एजुकेशन, सभी छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों और शिक्षा अधिकारियों को बधाई. आप सभी पर गर्व है.
इस साल के सीबीएसई 12वीं के परिणाम सही मायने में दो कारणों से खास हैं.पहला तो ये कि लगातार पांचवे साल के लिए, दिल्ली सरकार के स्कूलों में पास होने के प्रतिशत ने नए रिकॉर्ड बनाए हैं. दूसरा, वे ऐसे समय में देश के लिए ऐसा बहुत जरूरी समाचार लाएं हैं, जब हर तरफ खबरों में कोरोना वायरस हावी है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने अपने ट्वीट में इस साल के उल्लेखनीय प्रदर्शन के महत्व को समझाया. कहा कि पिछले 5 सालों में, हम #DelhiGovtSchools में हर बार अपना खुद का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए खुद से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. इस साल कोई अपवाद नहीं है!
Over the past 5 years, we at #DelhiGovtSchools have been competing with ourselves to break our own record each time. This year is no exception!
— Manish Sisodia (@msisodia) July 13, 2020
2020: 98%
2019: 94.24%
2018: 90.6 %
2017: 88.2%
2016: 85.9%
Congrats to students, parents & Team Education! https://t.co/ktNogcLZEW
हर किसी के दिमाग में यह सवाल है कि अरविंद केजरीवाल के शिक्षा मॉडल में ऐसा क्या खास है? ये हैं वो 10 कारण जिनकी वजह से दिल्ली के स्कूल देश में सबसे अच्छे हैं:
01. भारत में सबसे अधिक शिक्षा बजट: दिल्ली का शिक्षा बजट पिछले 6 सालों के लिए सरकार के कुल बजट का 25% है. पूरे देश में सबसे ज्यादा।
02. 6 साल में कक्षाएं हुई दोगुनी: सिर्फ 6 सालों में, दिल्ली के स्कूलों में कक्षाओं की संख्या 17,000 से बढ़ कर 37,000 हुई.
03. विश्वस्तरीय इन्फ्रा: आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे स्विमिंग पूल, ऑडिटोरियम, प्रयोगशालाएं, लाइब्रेरी, आदि से अब बच्चों को अपने स्कूल में पढ़ते हुए अच्छा लगता है.
04. कैम्ब्रिज, सिंगापुर, फ़िनलैंड में शिक्षक प्रशिक्षण: दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में प्रशिक्षित होते हैं और अपनी प्रशिक्षण को दिल्ली के बच्चों को पढ़ाने में इस्तेमाल करते हैं.
05. राजनीतिक नेतृत्व का जुड़ाव: मुख्यमंत्री केजरीवाल व्यक्तिगत रूप से सरकारी स्कूलों के बच्चों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ नियमित रूप से बातचीत करते हैं, जिससे उनका मनोबल बढ़ता है. गत वर्ष ही उन्होंने आईटीओ में दिल्ली सरकार के एक स्कूल में पैरेंट-टीचर मीटिंग में भाग लिया था. डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी नियमित रूप से स्कूलों का दौरा करते हैं और सारे घटनाक्रम पर नजर रखते हैं.
06. विशेषज्ञ सलाहकार: ऑक्सफोर्ड-शिक्षित सलाहकार और आम आदमी पार्टी विधायक आतिशी के नेतृत्व में, दिल्ली सरकार की कोर एजुकेशन टीम ने गैर-सरकारी संगठनों और अन्य मॉडल स्कूलों से सर्वश्रेष्ठ टैलेंट और शिक्षा सुधारों को दिल्ली के सरकारी स्कूलों में लाई जिससे दिल्ली के बच्चों को लाभ हुआ.
07. मेगा पैरेंट टीचर मीटिंग: दिल्ली सरकार बच्चों के प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए उनके माता-पिता को बहुत करीब से शामिल करने में विश्वास करती है. दिल्ली एकमात्र राज्य है जो बड़े निजी स्कूलों के समान नियमित रूप से मेगा पैरेंट – टीचर मीटिंग का आयोजन करते हैं जिससे बच्चों के माता-पिता को शिक्षकों से उनके बच्चों के प्रदर्शन के बारें में नियमित रूप से पता चलता रहे.
08. एस्टेट मैनेजरों के रूप में पूर्व-सेना अफसर: दिल्ली के बड़े निजी स्कूलों की तरह, हर सरकारी स्कूल का मैनेजमेंट पूर्व-सेना अफसरों के हाथों में है, जिन्हें मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा एस्टेट मैनेजर के रूप में भर्ती किया जाता है. स्कूल के प्रिंसिपल केवल स्कूल के शिक्षाविदों की देखभाल करते हैं, जबकि एस्टेट मैनेजर अन्य पहलुओं की देखभाल करते हैं.
09. इनोवेशन इन टीचिंग: दिल्ली सरकार के स्कूल अपने छात्रों में स्पेशल स्किल्स विकसित करने के लिए कईं नए तरह के कार्यक्रम चला रहे हैं. उदाहरण के लिए, यह सुनिश्चित करने के लिए कि हर बच्चा पढ़ने और लिखने में सक्षम हो, स्कूलों ने मिशन चुनौती और मिशन बुनियाद शुरू किया. इसी तरह, कई अन्य नए तरह के कार्यक्रमों को अपनाया जाता है.
10. तकनीकी सुविधा: सभी दिल्ली सरकार के स्कूलों के शिक्षक छात्रों को पढ़ाने के लिए मोबाइल टैबलेट का उपयोग करते हैं. डिजिटल शिक्षा की सुविधा के लिए अधिकांश उच्च कक्षाओं में प्रोजेक्टर का उपयोग किया जाता है, ताकि बच्चों को दुनिया के ज्ञान से अवगत कराया जा सके.