Delhi News: शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजने को लेकर अरविंद केजरीवाल सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल में जुबानी जंग जारी है. इस बीच, रविवार को सीएम केजरीवाल ने फिनलैंड, कैम्ब्रिज और सिंगापुर की ट्रेनिंग में भाग लेने वाले सरकारी स्कूल के शिक्षकों से बातचीत की. इस दौरान, अरविंद केजरीवाल ने कहा कि लंबे समय से यह धारणा रही है कि सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण आयोजित करने की कोई आवश्यकता नहीं है.
साथ ही दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अपनी विदेश यात्रा को लेकर उपराज्यपाल और मोदी सरकार पर तंज कसा. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने कहा कि हम शिक्षकों को विदेशों में भेजने में सक्षम हैं. मैं आठ साल से मुख्यमंत्री हूं. लेकिन, सिर्फ दो बार विदेश गया. एक बार मैं रोम गया था, जब मदर टेरेसा की मृत्यु हुई थी. जबकि, दूसरी बार दक्षिण कोरिया गया था.
सीएम केजरीवाल ने आगे कहा कि मेरा मकसद शिक्षकों को दूसरे देशों में भेजना है. मैं विदेश नहीं जाना चाहता. हालांकि, अन्य नेता हर महीने दूसरे देशों की यात्रा पर जाते हैं. हम चाहते हैं कि शिक्षक वैश्विक अनुभव हासिल करें. ताकि, सरकारी स्कूलों को निजी और अंतरराष्ट्रीय स्कूलों से बेहतर बनाया जा सकें. केजरीवाल ने कहा कि हमारे आलोचक भी इस बात से सहमत हैं कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में पिछले कुछ वर्षों में बहुत सुधार हुआ है. ये हमारी वजह से नहीं, बल्कि आप जैसे शिक्षकों की वजह से हुआ है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर नेताओं ने हमेशा नीतियों में शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया होता, तो भारत ने बहुत पहले एक क्रांति देखी होती. 2015 के बाद से बुनियादी ढांचे और काम के माहौल में सुधार हुआ है. टेंट स्कूल अब टैलेंट स्कूल बन गए हैं. उन्होंने कहा कि मैंने भी आईआईटी किया है. लेकिन, मुझे कोचिंग लेनी पड़ी थी. जबकि, आज सरकारी स्कूल के छात्र बिना कोचिंग के ही एडमिशन पा जा रहे, ये सब शिक्षकों की वजह से हुआ है. अपने संबोधन के आखिर में अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कोई भी देश तब तक विकसित नहीं हो सकता जब तक वह शिक्षा पर ध्यान केंद्रित नहीं करेगा.