Loading election data...

दिल्ली हाईकोर्ट ने उमर खालिद से किया सवाल, प्रधानमंत्री के खिलाफ इस्तेमाल शब्दों पर जताई आपत्ति

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने खालिद द्वारा दिए गए भाषण की रिकॉर्डिंग अदालत में चलाई. न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘यह क्या है? कैसे आप इस तरह के शब्द का इस्तेमाल देश के प्रधानमंत्री के लिए कर सकते हैं? आप इसे बेहतर तरीके से बोल सकते थे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 20, 2022 10:55 PM

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दिए गए भाषण पर शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनावाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद से अमरावती में दिए गए भाषण में पीएम मोदी के खिलाफ इस्तेमाल शब्दों को पर आपत्ति जताई है. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने खालिद द्वारा दिए गए भाषण की रिकॉर्डिंग अदालत में चलाई. न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘यह क्या है? कैसे आप इस तरह के शब्द का इस्तेमाल देश के प्रधानमंत्री के लिए कर सकते हैं? आप इसे बेहतर तरीके से बोल सकते थे.


क्या महात्मा गांधी इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल अपने भाषणों में करते

उमर खालिद का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पाइस ने कहा कि इन शब्दों का इस्तेमाल उपमा के तौर पर किया गया ताकि देश के वास्तविक और व्यवहारिक मुद्दों को दिखाया जा सके जो वास्तव में छिपे हैं. उन्होंने कहा कि खालिद को रोका जा सकता था लेकिन यह हिंसा के लिए भड़काने वाला नहीं है. इसपर न्यायाधीश ने कहा, ‘‘क्या महात्मा गांधी इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल अपने भाषणों में करते? वह बार-बार कह रहा है कि हम महात्मा गांधी जी का अनुसरण करेंगे. इसपर अधिवक्ता ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रणाली में विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल सरकार को बेनकाब करने के लिए किया जाता है और एक तरीका शब्दों और भाषणों का इस्तेमाल है.

गलत संदर्भ में कहा इंकलाब जिंदबाद

पीठ ने कहा, ‘‘ हम सभी ‘‘ इंकलाब जिंदाबाद ” का मतलब जानते हैं. आपने ‘इंकलाब’ और ‘क्रांतिकारी’ का इस्तेमाल किया. देखा जाए कि किस संदर्भ में ‘इंकलाब’ शब्द का इस्तेमाल किया गया.” इसपर खालिद के अधिवक्ता ने कहा कि इसका अभिप्राय क्रांति है और क्रांति शब्द का इस्तेमाल अपराध नहीं है. उन्होंने अपने मुवक्किल की ओर से कहा,‘‘मैंने इस शब्द का इस्तेमाल लोगों को भेदभाव वाले कानून के खिलाफ खड़े होने और उसका विरोध करने के संदर्भ में किया. मेरी किसी कल्पना में ‘‘ इंकलाब”, ‘‘क्रांतिकारी” या क्रांति अपराध नहीं कही जा सकती. यह अन्यायपूर्ण कानून के खिलाफ आह्वान था. हिंसा का आह्वान नहीं किया. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 मई की तारीख तय की है.

यूएपीए के तहत खालिद को किया गया गिरफ्तार

खालिद को फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगे की कथित साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया है.

Next Article

Exit mobile version