Delhi: नई आबकारी नीति में चूक पर LG का बड़ा एक्शन, 11 अधिकारियों को किया निलंबित
उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने पूर्व आबकारी आयुक्त समेत 11 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. आबकारी नीति के कार्यान्वयन में संबंधित अधिकारियों की ओर से की गई कथित गंभीर चूक को देखते हुए यह निर्णय लिया है.
दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने आबकारी नीति 2021-22 के कार्यान्वयन में गंभीर चूक को लेकर राष्ट्रीय राजधानी के पूर्व आबकारी आयुक्त आरव गोपीकृष्ण और उप आबकारी आयुक्त आनंद कुमार तिवारी सहित 11 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग के दानिक्स कैडर के तीन तदर्थ अधिकारियों और छह अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया गया है.
नीति में गंभीर चूक पर LG की कार्रवाई
जानकारी के अनुसार, उपराज्यपाल ने आबकारी नीति के कार्यान्वयन में ‘संबंधित अधिकारियों की ओर से की गई कथित गंभीर चूक’ को देखते हुए यह निर्णय लिया है, जिसमें ‘निविदा को अंतिम रूप देने में अनियमितताएं और चुनिंदा विक्रेताओं को पोस्ट-टेंडर लाभ प्रदान करना’ शामिल है. उपराज्यपाल सक्सेना ने सतर्कता निदेशालय (डीओवी) की ओर से दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई की है.
2021 में लागू की गई थी नयी आबकारी नीति
गौरतलब है कि उपराज्यपाल ने आबकारी नीति 2021-22 के कार्यान्वयन में नियमों के कथित उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की सिफारिश पहले ही कर दी है. दरअसल, 17 नवंबर 2021 को लागू की गई नयी आबकारी नीति के तहत 32 क्षेत्रों में विभाजित शहर की 849 शराब की दुकानों के लिए निजी फर्मों को खुदरा लाइसेंस जारी किए गए थे. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार ने अब इस नीति को वापस ले लिया है.
Also Read: Delhi Liquor Policy: दिल्ली में शराब नीति पर सियासत तेज, नयी आबकारी नीति के चलते 200 से अधिक दुकानें बंद
सिसोदिया ने पूर्व उपराज्यपाल पर लगाया आरोप
इससे पहले, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को पूर्व उपराज्यपाल अनिल बैजल पर अनधिकृत क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने के मामले में अपना रुख बदलने का आरोप लगाया है, साथ ही उन्होंने दावा किया कि इसके कारण उनकी सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है. सिसोदिया ने कहा, ‘‘नयी आबकारी नीति के तहत अनधिकृत क्षेत्रों समेत पूरी दिल्ली में 849 दुकानें खोली जानी थीं. तत्कालीन उपराज्यपाल ने इस प्रस्ताव का विरोध नहीं किया और इसे मंजूरी दे दी.
(भाषा- इनपुट के साथ)