Delhi vidhan sabha: हर बूथ कमेटी में महिलाओं को रखने पर जोर
पिछले विधानसभा चुनाव में भी कुछ क्षेत्रों में महिलाओं का मत प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले ज्यादा रहा है. यही कारण है कि इस बार सभी पार्टी महिला की सबसे बड़ी हितैषी होने की बात कर रही है.
Delhi vidhan sabha: दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा अपने महिला लीडरशिप को मजबूत करने में जुटी है. इसके तहत हर बूथ कमेटी में महिला कार्यकर्ताओं को जगह दी जा रही है. विधानसभा के सभी सीटों पर भाजपा की ओर से बूथ कमेटी का गठन लगभग पूरा कर लिया गया है और हर बूथ कमेटी में कम से कम तीन महिलाओं को रखा गया है. भाजपा इस प्रयोग को पूरे देश में लागू करेगी. जिससे महिला नेतृत्व तैयार किया जाये और जब महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या बढ़े तो भाजपा को महिला नेतृत्व ढूंढना न पड़े.
प्रदेश भाजपा के मुताबिक प्रत्येक बूथ पर 12 से 13 कार्यकर्ताओं को जिम्मा दिया गया है. इसमें तीन से चार महिला को भी रखा गया है. इन कार्यकर्ताओं को पार्टी की ओर से टास्क दिया गया है, बूथ के कोई भी मतदाता छूटे नही. बूथ कार्यकर्ताओं की यह जिम्मेदारी है कि वह अपने क्षेत्र के वोटर के संपर्क में रहे, भाजपा को जिताना क्यों जरूरी है इसे बतायें और वर्ममान सरकार की नाकामियों से जनता को अवगत कराएं. मतदान के दिन मतदाता को बूथ पर आने को प्रेरित करें और उससे वोट दिलवायें.
सत्ता हासिल करने में महिलाओं का विशेष योगदान
दिल्ली में लगभग 70 लाख से अधिक मतदाता महिला है. महिलाओं में भी राजनीतिक को लेकर जागरूकता बढ़ी है और वह भी राजनीति में अपना योगदान देना चाहती है. कुछ विधानसभा के झुग्गी झोपड़ी वाले इलाकों में पिछले चुनाव में भी महिलाओं का मत प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले ज्यादा रहा है. यही कारण है कि इस बार सभी पार्टी महिला की सबसे बड़ी हितैषी होने की बात कर रही है. तुगलकाबाद, महरौली, देवली, बुराड़ी, सुल्तानपुर माजरा,संगम विहार, किराड़ी, जैसे विधानसभा क्षेत्रों में जहां अनधिकृत कालोनी व झुग्गी बस्तियां अधिक हैं वहां भी महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया था.
सभी दल महिलाओं का महत्व समझ रही है. यही कारण रहा है कि हर दल महिलाओं के लिए बड़ी घोषणाएं की है. अन्य राज्यों का भी उदाहरण सामने हैं, जहां पर महिलाओं का समर्थन प्राप्त कर सत्ता प्राप्त करने में पार्टियां सफल रही है. दूसरे राज्यों के प्रयोग को सभी पार्टी दिल्ली में दोहरा रही है, लेकिन यह भी विडंबना ही है कि महिलाओं को टिकट देने में सारी पार्टी पीछे रह जाती है. महिलाओं को उनकी आबादी के अनुरूप इस बार भी किसी पार्टी ने टिकट नहीं दिया है. लेकिन इसकी संभावना प्रबल है कि दिल्ली की महिलाएं इस चुनाव में अपने हक को लेकर जिस तरह से आवाज उठा रही है, उसका आने वाले दिनों में देश भर के चुनाव में व्यापक असर देखने को मिल सकता है.