महिला काजी ने कराया पूर्व राष्ट्रपति के परपोते का निकाह, कहा- कुरान में ऐसी कोई शर्त नहीं
भारत के पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के परपोते की शादी में महिला काजी ने रश्मे निभाई. यह पहला ऐसा मौका है जब मुस्लिम समाज में किसी महिला काजी ने शादी की रस्में निभाईं हों.
मुस्लिम समाज बदल रहा है. अब महिलाएं भी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने लगी है. इसी कड़ी में भारत के पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के परपोते की शादी में महिला काजी ने रश्मे निभाई. यह पहला ऐसा मौका है जब मुस्लिम समाज में किसी महिला काजी ने शादी की रस्में निभाईं हों.
दरअसल, 11 मार्च को देश के तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के परपोते रहमान का उर्सिला से निकाह हुआ. इस निकाह में रश्मे योजना आयोग की पूर्व सदस्य सैयदा सैय्यदैन हमीद ने की. इससे पहले किसी मुस्लिम महिला ने शादी में बतौर काजी रश्मे नहीं की थीं. निकाहनामा में निर्धारित शर्तें मुस्लिम महिला मंच के तत्वाधान में तैयार की गई थीं.
मीडिया रिपोर्ट में जो खबरें आयी है उसके मुताबिक, योजना आयोग की पूर्व सदस्य सैयदादैन हमीद का निकाह को लेकर कहना है कि, कुरान में कोई ऐसी शर्त नहीं है, जिसमें कहा गया हो कि महिलाएं निकाहनामा नहीं पढ़ सकती हैं. उन्होंने कहा है कि इससे पहले भी वो कई निकाह करा चुकी है. गौरतलब है कि इस निकाहनामे की शर्तें मुस्लिम महिला मंच की ओर से तैयार किए गए थे. दूल्हे की परदादी बेगम सईदा खुर्शीद इस संगठन की संस्थापक अध्यक्ष भी थीं.
Posted by: Pritish Sahay