‘सीट एक विधायक दो’, दिल्ली में हुए पहले चुनाव क्यों था इतना खास

Delhi Election 2025: दिल्ली में हुए चुनाव अपने खास पहलुओं के लिए याद किये जाते हैं. पहले चुनाव में की ऐसे सीटें थी जहां एक सीट पर दो विधायक चुनाव जीत कर आए थे.

By Ayush Raj Dwivedi | February 3, 2025 8:08 AM

Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा का गठन 1951 में पार्ट-सी राज्य सरकार अधिनियम-1951 के तहत किया गया था और इसके बाद 1952 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ. उस समय दिल्ली की विधानसभा में कुल 48 सीटें थीं. खास बात यह है कि उस समय भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) अस्तित्व में नहीं थी और दिल्ली में केवल कांग्रेस का ही दबदबा था. कांग्रेस ने पहले चुनाव में 48 में से 36 सीटों पर विजय प्राप्त की थी, जो उस समय की राजनीति में एक ऐतिहासिक जीत मानी जाती है.

एक सीट पर दो-दो विधायक जीते थे चुनाव

दिल्ली की छह सीटों पर दो-दो विधायक चुने गए थे, जो उस समय एक तरह का प्रयोग था. इनमें रीडिंग रोड, सीताराम बाजार, पहाड़ी धीरज बस्ती और नरेला जैसी प्रमुख सीटें शामिल थीं, जहां से दो-दो विधायक विधानसभा पहुंचे थे. 1952 के चुनाव में कुल 58.52 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था, जिनमें से 52 प्रतिशत वोट सिर्फ कांग्रेस को मिले थे.

दिल्ली के पहले सीएम बने चौधरी ब्रह्म प्रकाश

दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री का चुनाव भी एक दिलचस्प कहानी है। पहले कांग्रेस पार्टी देशबंधु गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाना चाहती थी, लेकिन एक हादसे में उनकी मृत्यु के बाद पंडित नेहरू ने अपने करीबी चौधरी ब्रह्म प्रकाश को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। चौधरी ब्रह्म प्रकाश का नाम इस मामले में ‘एक्सीडेंटल सीएम’ के तौर पर प्रसिद्ध हो गया। वे आजादी की लड़ाई में शामिल रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी उन्हें दुर्घटनावश मिली थी.

दिलचस्प रहा है दिल्ली का सियासी सफर

दिल्ली विधानसभा चुनावों का यह ऐतिहासिक सफर अब तक काफ़ी लंबा हो चुका है, लेकिन पहले चुनाव का दौर कांग्रेस के लिए राजनीति में एक बड़ी जीत और सत्ता का पक्का दावा साबित हुआ था. बाद में, साल 1991 में संविधान में संशोधन के बाद दिल्ली को फिर से विधानसभा का दर्जा मिला और 1993 में चुनाव के बाद पहली निर्वाचित सरकार बनी. तब से लेकर अब तक दिल्ली में चुनाव होते आ रहे हैं और राजनीतिक समीकरणों में बदलाव भी आए हैं.

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