2013 की हार के बाद गोपाल राय ने कैसे बनाई बाबरपुर सीट पर पकड़? जानें इस सीट की सियासी कहानी
Delhi Election 2025: दिल्ली के बाबरपुर सीट पर सियासी लड़ाई दिलचस्प नजर आ रही है. एक दौर में यह सीट बीजेपी का गढ़ रही थी..
Delhi Election 2025: दिल्ली के हाई प्रोफाइल सीटों की कहानी में सबसे चर्चित सीट है बाबरपुर विधानसभा सीट. इस सीट पर आम आदमी पार्टी पिछले दो चुनावों ने नहीं हारी है. गोपाल राय 2015 से यहां से विधायक है. गोपाल राय आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष हैं और दिल्ली सरकार में मंत्री भी हैं. यह सीट एक समय में बीजेपी गढ़ हुआ करता था. चार बार यहां से बीजेपी ने चुनाव जीता. इस सीट पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में है. इस बार कांग्रेस ने इस सीट से मुस्लिम चेहरा को उतारा है वहीं बीजेपी ने अभी तक इस सीट पर अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है.
बाबरपुर सीट पर कैसा रहा है चुनावी सफर
- साल 1993 में यह सीट बीजेपी के खाते में गई थी और नरेश गौड़ 21 हजार से अधिक वोटों से जीत हैसल हुआ था.
- साल 1998 में फिर एक बार नरेश गौड़ जो जीत हासिल हुई और इस बार फिर से वो भारी मतों से विजयी हुए.
- साल 2003 में यहां कांग्रेस पार्टी को पहली बार जीत नसीब हुआ और विनय शर्मा विधायक बने
- 2008 में नरेश गौड़ ने वापसी की और 31 हजार से अधिक मतों से विपक्षी उम्मीदवार को हरा दिया.
- 2013 में नरेश गौड़ चौथी बार बाबरपुर के विधायक बने और अपने जीत के अंतर में बढ़ोतरी भी की.
- 2015 में यहां पहली बार आम आदमी पार्टी को जीत हासिल हुआ और गोपाल राय विधायक बने
- 2020 में दोबारा गोपाल राय चुनावी मैदान में उतरे और विधायक बने.
बीजेपी का गढ़ था बाबरपुर विधानसभा
बाबरपुर विधानसभा सीट एक दौर में बीजेपी का गढ़ हुआ करता था. साल 1993 से लेकर 2013 तक एक बार को छोड़ दे तो लगातार नरेश गौड़ यहां से विधायक बनते आएं हैं. इस सीट के अंतर्गत शिवाजी पार्क, कबीर नगर, वेलकम, जाफराबाद और मौजपुर का इलाका आता है. साल 2020 के चुनाव में यहां बीजेपी के उम्मीदवार को 33 हजार के अंतर से हराया.
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