हिंदू कालेज में हिंदी साहित्य सभा : पत्रकार और लेखक प्रियदर्शन ने कहा- असंभव को भी संभव बनाता है साहित्य

प्रियदर्शन ने कहा कि यदि आज के समय में कोई शिमला जैसी जगह घूमने जाता है तो वहां की प्रकृति, वहां का वातावरण,वहां की वायु का अनुभव करने के बजाय फोटो,सेल्फी इत्यादि को सोशल मीडिया पर स्टेटस व पोस्ट कर देने मात्र में ही पूरी यात्रा की सफलता समझता है जो कि गलत है. यह हमारे समाज की एक नई विडंबना है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 9, 2023 6:23 PM

आज की पीढ़ी की सबसे बड़ी विडंबना है वास्तविक अनुभव अर्जित करने के बजाय उसे सोशल मीडिया पर साझा करने को ही अनुभव करना समझना. ऐसे में साहित्य की भूमिका बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाती है जो हमारे भीतर संस्कार और गहराई देता है. सुप्रसिद्ध लेखक व पत्रकार प्रियदर्शन ने हिंदू कॉलेज में हिंदी साहित्य सभा के सत्रारंभ समारोह में ‘हमारे समय में साहित्य’ विषय पर कहा कि साहित्य में सदी का निर्धारण मात्र उसके 100 वर्ष पूरे होने से नहीं बल्कि प्रवृत्तियों के आधार पर होना चाहिए.

साहित्य के विकास परंपरा की हुई चर्चा

प्रियदर्शन ने साहित्य की विकास परंपरा की व्याख्या करते हुए दोनों विश्व युद्ध जिनमें लगभग 8 से 10 करोड़ लोगों की जान गई थी और जिन वजहों से समाज में अनेक विडंबनाएं उभरीं, सहित अनेक घटाओं को देखने -समझने की जरूरत बताई. उन्होंने विडंबना का अर्थ है जो है और जो दिखता है, के बीच का अंतर बताया. प्रियदर्शन ने कहा कि यदि आज के समय में कोई शिमला जैसी जगह घूमने जाता है तो वहां की प्रकृति, वहां का वातावरण,वहां की वायु का अनुभव करने के बजाय फोटो,सेल्फी इत्यादि को सोशल मीडिया पर स्टेटस व पोस्ट कर देने मात्र में ही पूरी यात्रा की सफलता समझता है जो कि गलत है. उन्होंने कहा कि यह हमारे समाज की एक नई विडंबना है.

इंद्रियों से अनुभव करने पर ही हो सकता है उत्कृष्ट लेखन

प्रियदर्शन ने लेखन और साहित्य की अर्थवत्ता की व्याख्या करते हुए बताया कि चीजों को अपनी इंद्रियों से अनुभव करने पर ही उत्कृष्ट लेखन हो सकता है. उन्होंने कहा कि आपके शब्दों का चयन आपके अनुभव के आधार पर ही होता है. औद्योगिक क्रांति व दूरसंचार क्रांति के बाद उपजी विडंबना को चिंताजनक बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें हमेशा निचले तबके व निम्न वर्ग के साथ संवेदना रखनी चाहिए.

असंभव को संभव करता है साहित्य

उन्होंने साहित्यकार को पक्षधर्मा बताते हुए कहा कि यदि हमें अमीर और गरीब में किसी का पक्ष लेना हो, तो हमें अपना झुकाव हमेशा गरीबों की ओर ही रखना होगा. प्रियदर्शन ने शमशेर बहादुर सिंह और केदारनाथ सिंह की कुछ प्रसिद्ध कविताओं का उल्लेख कर बताया कि साहित्य किस तरह असंभव को भी संभव करने का काम करता है. व्याख्यान के दूसरे हिस्से में प्रियदर्शन ने राष्ट्रवाद के लगातार संकुचित होते रूप पर चिंता प्रकट करते हुए इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया.

साहित्य सभा की नई कार्यकारिणी का गठन

इससे पहले हिंदी विभाग की प्रभारी प्रोफेसर रचना सिंह ने हिंदी साहित्य सभा की गठित नई कार्यकारिणी की घोषणा भी की. इस बार आकाश मिश्र को अध्यक्ष, अंशुल वर्मा को उपाध्यक्ष, मधुलिका सिंह को संयोजक, बलराम पटेल को मीडिया प्रभारी, शिवम् मिश्रा को कोषाध्यक्ष, अनिल आंबेडकर को सचिव तथा रक्षित कपूर को सह सचिव निर्वाचित किया गया है. प्रियदर्शन का स्वागत विभाग के शिक्षक डॉ पल्लव ने किया तथा अंत में डॉ अरविंद कुमार सम्बल ने आभार ज्ञापित किया. आयोजन में विभाग के शिक्षक डॉ अभय रंजन, नौशाद अली, डॉ नीलम सिंह और डॉ साक्षी यादव सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे. उक्त जानकारी हिंदू काॅलेज दिल्ली के हिंदी साहित्य सभा के आकाश मिश्रा ने दी.

Also Read: दूसरा सुबर्नशिला सम्मान शेखर मल्लिक, दिलीप चक्रवर्ती और शांता चक्रवर्ती को दिए जाने की हुई घोषणा

Next Article

Exit mobile version