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चीन को मुंहतोड़ जवाब, भारत ने डीओबी और देपसांग में तैनात किया टी-90 युद्धक टैंक

पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) और देपसांग इलाके में चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत ने तैयारी कर ली है. भारत ने इन इलाकों में बड़ी संख्या में जवानों की तैनाती कर दी है

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) और देपसांग इलाके में चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत ने तैयारी कर ली है. भारत ने इन इलाकों में बड़ी संख्या में जवानों की तैनाती कर दी है. इसके अलावा, यहां टी-90 युद्धक टैंक को भी तैनात कर दिया गया है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, डीओबी और देपसांग इलाकों में चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए भारतीय सेना पूरी तरह से मुस्तैद है.

हमने डीबीओ और देपसांग मैदानी क्षेत्र में टी -90 रेजमेंट सहित सेना और टैंकों की बहुत भारी तैनाती की है. काराकोरम दर्रे (पीपी-3) के पास देपसांग मैदानों के पास पेट्रोलिंग प्वांइट-1 से तैनाती की गयी है. इस इलाके में चीन के 17 हजार जवान मौजूद हैं. चीन ने इन सैनिकों की तैनाती अप्रैल से मई के बीच में की है. इसके बाद वे इस इलाके में पीपी-10 से पीपी-13 तक भारतीय सेनाओं को निगरानी से रोक रहे हैं. सड़क मार्ग को जोड़ना चाहता है चीनसूत्रों के मुताबिक, चीन का इरादा डीओबी और देपसांग इलाके में सड़क बनाना है, जो उसकी टीडब्ल्यूडी बटालियन हेडक्वार्टर को काराकोरम दर्रे से जोड़ती है. इस कोशिश को भारत पहले भी नाकाम कर चुका है.

अगर चीन अपने इरादे में कामयाब हो जाता है, तो अपनी सैनिक टुकड़ियों को इस इलाके में पहुंचाने में उसे कुछ घंटे ही लगेंगे. अभी जी219 हाइवे के जरिये ऐसा करने में 15 घंटे लगते हैं. डीओबी और देपसांग प्लेन्स के दूसरी तरफ के इलाके में चीन ने जब अपना इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना शुरू किया था, तब यहां भारतीय सेना की माउंटेन ब्रिगेड और आर्मर्ड ब्रिगेड ही निगरानी करती थी.

भारत ने चीन से बोला- क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहींभारतीय सेना ने चीनी सेना को पांचवें दौर की सैन्य वार्ता में स्पष्ट संदेश दिया है कि वह देश की क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगी और पैंगोंग सो तथा पूर्वी लद्दाख में विवाद के कुछ अन्य स्थानों से सैनिकों की वापसी जल्द से जल्द पूरी होनी चाहिए.

दोनों देशों की सेनाओं के वरिष्ठ कमांडरों ने रविवार को एलएसी पर चीन की तरफ मोल्दो में लगभग 11 घंटे तक वार्ता की. भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट और कड़े शब्दों में चीनी पक्ष को बताया कि दोनों देशों के बीच समग्र संबंधों के लिए पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में विवाद शुरू होने से पहले की यथास्थिति की बहाली आवश्यक है.

Post by : Pritish Sahay

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