नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बहुराष्ट्रीय कंपनी जेपी मॉर्गन को 140 करोड़ रुपये जमा करने का बुधवार को निर्देश दिया, जो आम्रपाली समूह के घर खरीदारों का धन था. जिसका फॉरेंसिक ऑडिटर की रिपोर्ट और पिछले साल के आदेश के अनुसार तय मानकों का उल्लंघन करके कथित तौर पर गबन किया गया. शीर्ष अदालत ने कंपनी से कहा कि वह अगले सप्ताह तक अवगत कराये कि वह घर खरीदारों का धन किस तरह जमा करायेगी. कब तक जमा करायेगी.
इडीने शीर्ष अदालत को बताया कि जेपी मॉर्गन ग्रुप ऑफ कंपनीज और आम्रपाली समूह के निदेशकों के बीच आपराधिक षड्यंत्र रचा गया, जिसके तहत जेपी मॉर्गन इंडिया प्रॉपर्टी मॉरीशस कंपनी-II ने 2010 में आम्रपाली जोडिएक में 85 करोड़ रुपये का निवेश किया. 2013-15 में फर्जी लेन-देन तथा शेल कंपनियों से लगभग 140 करोड़ रुपये लेकर इससे निकल गयी.
जस्टिस अरुण मिश्रा और यू यू ललित की पीठ ने मॉर्गन इंडिया की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कोर्ट द्वारा नियुक्त फॉरेंसिक ऑडिटरों की रिपोर्ट और मामले में पिछले साल के आदेश के अनुरूप घर खरीदारों का धन जमा करने को कहा. रोहतगी ने शुरू में पीठ से कहा कि जेपी मॉर्गन ने घर खरीदारों के किसी धन का हेरफेर नहीं किया है और इडी ने 187 करोड़ रुपये की इसकी संपत्तियों को गलत तरीके से कुर्क किया है. पीठ ने रोहतगी से कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनी ने घर खरीदारों के धन का हेर-फेर किया है.
कोर्ट की टिप्पणी इडी के संपत्ति जब्त करने के कदम को चुनौती देने वाली जेपी मॉर्गन की याचिका पर आयी. इस बीच, एसबीआईसीएपी वेंचर्स ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह संकटग्रस्त आम्रपाली समूह की स्थगित परियोजनाओं के लिए मदद करने को तैयार है. इसने शीर्ष अदालत को बताया कि वह अदालत के रिसीवर के साथ विशेष प्रयोजन कंपनी बनायेगी. सात पेंडिंग प्रोजेक्ट के निर्माण का काम संभालने के लिए एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति करेगी.
posted by pritish sahay